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यूपी: छह साल में दस गुणा कम हुई पराली जलाने की घटनाएं!

पराली जलाने पर सख्ती व कार्रवाई और जागरुकता का नतीजा

2017 में 8784 मामलों की तुलना में 2023 के 10 महीने में रह गए महज 906 मामले
LP Live, Lucknow: दिल्ली एनसीआर-यूपी के जिलों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए योगी सरकार की सख्ती का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। इसके अलावा पराली जलाने वालों पर जुर्माना जैसी कार्रवाई और किसानों में जागरुकता व फसल अवशेष प्रबंधन को प्रोत्साहन देने का नतीजा ये रहा कि यूपी में पिछले छह साल में पराली जलाने के मामलों में करीब दस गुणा यानी 89.68 फीसदी की कमी आई है।

एनसीआर-हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान और दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं में बेहद कमी आ रही है। खासतौर से एनसीआर-यूपी के जिलों में योगी सरकार के कसे गये शिकंजे और जागरुकता अभियान से पिछले छह साल में निरंतर पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। मौजूदा साल के पहले दस महीनों में 30 अक्टूबर तक शामली में 5, मेरठ में 3, बुलंदशहर में 6 और बागपत एक घटना दर्ज की गई है। वहीं हापुड़ में पराली जलाने की इस दौरान एक भी घटना सामने नहीं आई है। जबकि साल 2022 में इस अवधि के दौरान शामली में छह, मेरठ में 4, बुलंदशहर में 7, बागपत तथा और हापुड़ में दो-दो घटनाएं दर्ज हुई थी। यानी साल 2023 में प्रदेश में पराली जलाने की कुल 906 घटनाएं सामने आई हैं। जबकि साल 2017 में यह संख्या 8784 थी। इससे पहले 2017 में 8784, 2018 में 6623, 2019 में 4230, 2020 में 4659, 2021 में 4242 और 2022 में 3017 मामले प्रकाश में आए थे।

फसल जलने की घटनाओं में भी आई कमी
प्रदेश में पराली जलाने की वजह से फसल जलने की घटनाओं में भी काफी दर्ज की गई है। 30 अक्टूबर तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020 में 1132 स्थानों पर फसले जलकर नष्ट हुई थीं। जबकि ऐसी घटनाएं 2021 में घटकर 890 रह गई, तो इस साल 30 अक्टूबर तक 748 मामले फसल जलने के सामने आए हैं, जिनमें पीलीभीत में 30 अक्टूबर 2022 तक फसल जलने के जहां 98 प्रकरण आए थे, वहीं 84 प्रकरण 2023 में अब तक आए हैं। इस क्रम में शाहजहांपुर के लोगों ने काफी प्रयास किया। वहां 2022 में 223 मामले प्रकाश में थे, जो इस वर्ष तक अभी 48 ही सामने आए हैं। प्रदेश में राजस्व ग्राम के लिए लेखपाल की जिम्मेदारी तय की गई है कि वह अपने क्षेत्र में पराली जलने की घटनायें न होने दें।

सीआरएम मशीनें खरीदने की कार्रवाई
केन्द्र सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत अब तक एनसीआर राज्यों और दिल्ली के जीएनसीटी को व्यक्तिगत किसानों अथवा कस्टम हायरिंग केन्द्रों और सहकारी समितियों द्वारा मूल स्थान पर धान के भूसे के प्रबंधन की सुविधा के लिए मशीनों तथा अन्य स्थानों पर धान से जुड़े अनुप्रयोगों को सुविधाजनक हेतु बेलिंग/रेकिंग मशीनें व उपकरणों की खरीद हेतु लगभग 3,333 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है, जिसमें यूपी-एनसीआर में 7,986 रुपये की धनराशि भी शामिल है। इसमें एनसीआर के लिए उत्तर प्रदेश में उपलब्ध फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों की संख्या 7,986 है और 595 अतिरिक्त सीआरएम मशीनें खरीदने की कार्रवाई चल रही है।

फसल अवशेष जलाने पर कार्यवाही
यूपी में फसलों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए योगी सरकार आईईसी कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार कर रही है। जागरूकता कार्यक्रम, कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम व प्रचार-प्रसार से इस पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है। बायोडिकम्पोजर की आपूर्ति एवं कृषकों में निःशुल्क वितरण के साथ ही फसल अवशेष प्रबन्धन के एकल कृषि यंत्र एवं फार्म मशीनरी बैक अंतर्गत फसल अवशेष प्रबंधन वाले कृषि यंत्रों का वितरण किया जा रहा है। फसल अवशेष आधारित ईकाइयों का प्रचार-प्रसार कर उनमें पराली की आपूर्ति कराने व जनपद स्तरीय टास्क फोर्स का गठन कर अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन कर भी योगी सरकार जागरूक कर रही है।

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