यूपी के हर आदमी की थाली में होगी पर्याप्त दाल
दलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की कार्ययोजना हुई शुरु
देश में सर्वाधिक दलहन का उत्पादक राज्य है यूपी
LP Live, Lucknow:इंसान के लिए शाकाहारी भोजन में स्वास्थ के लिए प्रोटीन के रुप में दालों का महत्वपूर्ण स्रोत है। इसी दिशा में योगी सरकार ने प्रदेश में हर आदमी के थाल में दाल की जरुरत को पूरा करने के लिए दलहन की पैदावार को और भी ज्यादा प्रोत्साहन देने के लिए एक खास कार्ययोजना तैयार की है।
देश में सबसे बड़ी आबादी के साथ दलहन का उत्पादन भी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है, जिसमें किसानों की उपज में दलहनी फसलों का उत्पादन ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। दलहन उत्पादन के क्षेत्र में सरकार के प्रयास के नतीजे एक रिपोर्ट से उत्साहवर्धक है। इस रिपोर्ट के अनुसार एक दशक में दालों का ग्रॉस वैल्यू आउटपुट (जीवीओ) करीब 250 फीसद बढ़ा है। यह देश में सर्वाधिक है। एक दशक पहले दालों का जीवीओ 18 हजार करोड़ रुपये था जो बढकर 45 हजार करोड़ रुपये हो गया।
अगले पांच साल में 35.79 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य
केंद्र सरकार की मंशा के अनुरूप योगी सरकार ने दलहन का उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की मुकम्मल कार्ययोजना तैयार की है। दरअसल इस योजना पर काम तो योगी सरकार के पहले कार्यकाल में ही शुरू हो गया था। नतीजतन 2016-17 से 2020-21 के दौरान दलहन का उत्पादन 23.94 मीट्रिक टन से बढ़कर 25.34 लाख मीट्रिक टन हो गया। इस दौरान प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 9.5 कुंतल से बढ़कर 10.65 कुंतल हो गई। योगी सरकार-2.0 ने इसके लिए पांच साल का जो लक्ष्य रखा है उसके अनुसार दलहन का रकबा बढ़ाकर 28.84 लाख हेक्टेयर करने का है। प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 12.41 कुंतल और उत्पादन 35.79 मीट्रिक टन करने का है। इस लक्ष्य को हासिल करने के तहत उत्पादन में गुणवत्ता बीज की महत्ता को देखते हुए दलहन की विभिन्न फसलों की नई प्रजातियों के प्रमाणित (सर्टिफाइड) एवं आधारीय (फाउंडेशन) बीज के वितरण लक्ष्य में कई गुना की वृद्धि की गई। ये बीज किसानों को अनुदानित दर पर दिए जाते हैं। वहीं दलहनी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए अंतःफसली एवं जायज की फसलों में दलहनी (उड़द, मूंग) फसलों को प्रोत्साहन। असमतल भूमि पर स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करते हुये उत्पादन में वृद्धि, फरो एंड रिज मेथड से खेती कर उत्पादन में वृद्धि और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गारंटी जैसे कदम लक्ष्य हासिल करने में मददगार बनेंगे।
केंद्र के एमएसपी से मिलेगा प्रोत्साहन
केंद्र सरकार ने 7 जून को ख़रीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया है। इसमें सर्वाधिक 10.4 फीसद की वृद्धि मूंग की है। वर्ष 2022-2023 में यह प्रति कुंतल 7755 था। इस साल इसे बढ़ाकर 8558 रुपये कर दिया गया। इसी तरह अरहर की एमएसपी 6600 से 7000, उड़द की 6600 से 6950 रुपये कर दी गई। इसके एक दिन पहले केंद्र सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत इन पर लगी खरीद सीमा को भी हटा दिया। माना जा रहा है कि एमएसपी बढ़ने से किसान कम समय में तैयार होने वाली मूंग एवं उड़द की खेती के लिए प्रोत्साहित होंगे। खासकर सहफसली खेती के रूप में यह लोकप्रिय हो सकती है। एमएसपी के जरिये भी बेहतर भाव मिलने से किसान इसका रकबा बढ़ाएंगे। इससे सबको जरूरी मात्रा में दाल और इसके जरिये प्रोटीन उपलब्ध होगी।