संगीत की पाठशाला में भारत रत्न पंडित रविशंकर का स्मरण


भारत रत्न पंडित रविशंक के जन्मदिन पर विशेष
LP Live, Desk: भारत को संगीत की दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय फलक पर चमका गए भारत रत्न पंडित रविशंकर के कायल आज भी उन्हें याद करते हैं। मुजफ्फरनगर के साकेत में राधा माधव संगीत केंद्र चला रही विनीता गाेयल पंडित रविशंकर को अपने संगीत के माध्यम से राग गाकर जिंदा रखे हुए है। कई दशकों से संगीत की पाठशाला में वह युवाओं को संगीत का क, ख, ग सिखा चुकी हैं। उनके केंद्र पर संगीत और नृत्य सींखने वालों की लाइन रहती है, जिन्हें संगीत सिखाने के साथ वह हर संगीत के इतिहासकारों की जानकारी भी साझा कर उन्हें फालो कराती हैं।
नगर के ब्रहमपुरी निवासी महिला विनीता गोयल वर्षों से संगीत की पाठशाला चला रही है। उन्होंने संगीत का ज्ञान अपने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसके विस्तार के लिए युवाओं को आगे बढ़ाया है। राधा माधव संगीत केंद्र पर विनीता गोयल सितार बजाने से लेकर क्लासिकल संगीत, हारमोनियम, तबला, गिटार, वायलन आदि की कला युवाओं को सिखाती है। एक दशक से अधिक समय से युवाओं को संगीत की दुनिया में शामिल कर वह उन्हें प्रतिस्पर्धा में भागीदारी कराकर सफलता दिला रही है। उनका कहना है कि जिस भी संगीत को वह सिखाती है। पहले उसका इतिहास उन्हें बताया जाता है। इसी प्रकार सितार सिखने वालों को पंडित रविशंकर का इतिहास बताकर उनके जैसा काबिल बनाने की प्रेरणा दी जाती है। विनीता गाेयल बताती हैं कि उन्होंने बीए की पढ़ाई के दौरान सितार पर भोपाली राग गया था, तभी से पंडित रविशंकर को आदर्श मानती है। आज के समय में क्लासिकल संगीत के लिए लोग अधिक उत्साहित रहती हैं, लेकिन हम उन्हें सितार के बारे में भी प्रेरित करते हैं। सितार पर राग की कला विशेष है। आज सात अप्रैल को सितार वादक भारत रत्न पंडित रविशंकर का जन्मदिन है, जिन्हें याद किया जाता है। सितार के नाम के साथ उनका नाम खुद ही जबान पर आता है। उन्होंने बताया कि पंडित रविशंकर ने सत्यजीत रे की फिल्मों में संगीता दिया था। 1949 से 1956 तक उन्होंने आल इंडिया के रेडियो में बतौर संगीत निर्देशक काम किया। 1960 के बाद उन्होंने यूरोप के दौरे शुरु किए और येहूदी मेन्यूहिन व बिटल्स ग्रूप के जार्ज हैरिशन जैसे लोगों के साथ काम करके अपनी खास पहचान बनाई। भारतीय और पाश्चात्य संगीत में उनकी भूमिका कभी भूलाई नही जा सकती है।
