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राज्यमंत्री व शिवसेना नेता 20 साल बाद हुए कोर्ट से बरी

LP Live, Muzaffarnagar: जनपद की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट से मंगलवार को राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल को राहत मिल गई है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने पुलिस से मारपीट और सरकारी संपत्ति में तोडफोड करने पर उन्हें बरी कर दिया है। 20 वर्ष पूर्व के मुकदमे में सुनवाई करते हुए कपिल देव अग्रवाल सहित दो आरोपितों को बरी किया है। इसमें दूसरे आरोपित शिवसेना राज्य प्रमुख पश्चिम उत्तर प्रदेश ललित मोहन शर्मा है।

23 जुलाई 2003 को थाना सिविल लाइन के दारोगा इंदरजीत सिंह ने मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल और शिवसेना राज्य प्रमुख पश्चिम उत्तर प्रदेश ललित मोहन शर्मा ने सोल्जर बोर्ड में पुलिस के साथ मारपीट धक्का-मुक्की और तोड़फोड़ करते हुए लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचा दिया था। आरोप था कि समाजसेवी देवराज पंवार की बेटी निकिता की तेहरवीं सोल्जर बोर्ड में रखी गई थी। उसी दिन की घटना को आधार बनाते हुए मौजूदा राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल और ललित मोहन शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।  घटना के मुकदमे की विवेचना दारोगा मुन्ना लाल ने की थी। मंगलवार को मुकदमे की सुनवाई विशेष एमपी एमएलए कोर्ट के जज सिविल जज सीनियर डिविजन मयंक जायसवाल ने की। नवंबर 2021 में राज्यमंत्री पर आरोप तय किए गए थे। उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहे। कोर्ट ने दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल और शिवसेना राज्य प्रमुख पश्चिमी उत्तर प्रदेश ललित मोहन शर्मा को बरी कर दिया। उन्होंने बताया कि घटना के संबंध में कोर्ट में उनकी तरफ से नौ गवाह पेश किए गए थे, जिसके बाद जज ने उन्हें बरी किया।

 

 

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