
राष्ट्रपति मुर्मू ने पद व गोपनीयता की दिलाई शपथ,14 माह का होगा कार्यकाल
LP Live, New Delhi: देश के 53 वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सात देशों के न्यायिक प्रतिनिधिमंडल ने भी हिस्सा लिया।


राष्ट्रपति भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को भारत के 53 वें मुख्य न्यायाधीश के रुप में पद की शपथ दिलाई। इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद बहन और बड़े भाई के पैर छुए। इस कार्यक्रम में उनके परिवार के लोग शामिल हुए। वहीं भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी सीजेआई के शपथ ग्रहण में अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी नजर आई यानी भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्य भी पहुंचे। इस दौरान पूर्व सीजेआई गवई ने एक नई मिसाल कायम करते हुए शपथ ग्रहण समारोह के बाद उन्होंने अपनी आधिकारिक गाड़ी राष्ट्रपति भवन में ही अपने उत्तराधिकारी जस्टिस सूर्य कांत के लिए छोड़ दी। मसलन जस्टिस सूर्यकांत सीजेआई बीआर गवई की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल रविवार 23 नवंबर को खत्म हो गया है। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल भी मौजूद थे।

हरियाणा के निवासी हैं जस्टिस सूर्यकांत
यह हरियाणा के लिए गर्व का विषय है कि जस्टिस सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हरियाणा से पहले व्यक्ति होंगे। सीजेआई गवई ने उनके नाम की सिफारिश करते हुए कहा कि जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट की कमान संभालने के लिए उपयुक्त और सक्षम हैं। 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार के गांव पेटवाड़ में जन्में जस्टिस सूर्यकांत ने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए खाली समय में खेतों में काम किया। पहली बार शहर तब देखा जब वे दसवीं की बोर्ड परीक्षा देने हिसार के एक छोटे से कस्बे हांसी गए थे। उनके पिता एक शिक्षक थे। जस्टिस सूर्यकांत ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी। वो हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
जस्टिस सूर्यकांत के यादगार फैसले
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत कई कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है। वहीं पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में साल 2017 में बलात्कार के मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को लेकर जेल में हुई हिंसा के बाद डेरा सच्चा सौदा को पूरी तरह से साफ करने का आदेश भी उन्होने दिया था। इसी प्रकार राजद्रोह कानून को स्थगित रखने, बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने, 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फैसले को खारिज करने जैसे फैसले यादगार कहे जा सकते हैं। वहीं जस्टिस सूर्यकांत ने बिहार में एसआईआर से जुड़े मामले की सुनवाई भी की।












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