अपराधउत्तर प्रदेश

Muzaffarnagar: करोड़ों के सीवर घोटाले की जांच में खेल

तत्कालीन जिलाधिकारी का तबादला होते ही स्थानीय स्तर पर जांच कराकर आरोपियों को दे दी गई थी क्लीनचिट

LP Live, Muzaffarnagar: सीवर लाईन घोटाले के मामले में चल रही जांच के बीच आरोपियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से आनन-फानन में क्लीनचिट दिये जाने का मामला जिलाधिकारी अरविन्द मलप्पा बंगारी के सामने पहुंचा तो उन्होंने जांच कमेटियों पर ही एक और जांच बैठा दी है। तत्कालीन जिलाधिकारी सीबी सिंह ने पूरे मामले में जांच कराते हुए शासन को अवगत कराया था, लेकिन उनका तबादला होते ही आनन-फानन में निम्न स्तर की एक कमेटी से जांच कराकर फाइल बंद कर दी गई।
दरअसल, जन विकास सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने मुख्यमंत्री को शिकायत की थी कि अमृत योजना के तहत शहर में 32 करोड़ की लागत से सीवर लाइन बिछाने का जो काम चल रहा है, उसमें बड़े स्तर पर बंदरबांट की गई है, जिस पर तत्कालीन जिलाधिकारी सीबी सिंह ने इस पूरे मामले की जांच जल निगम की टीएसी तकनीकी टीम से कराये जाने की संस्तुति की थी। वर्ष 2022 में शासन को इसका पत्र भेज दिया गया। अभी यें जांच पूरी भी नहीं हुई थी कि इस बीच जिलाधिकारी सीबी सिंह का तबादला हो गया। उनके जाते ही इस घोटाले के सूत्रधार सक्रिय हो गये। उन्होंने सेटिंग का खेल करके एक नई जांच कमेटी बनवा दी। जांच पूरी हुई जिसमें नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी हेमराज व पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता प्रदीप कुमार सक्सेना ने अपनी जांच रिपोर्ट में अवगत कराया कि परियोजना के सभी कार्य पूरे हो चुके है, गुणवत्तापूर्ण सामग्री लगी है। ऐसी स्थिति में कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। साफ था कि तकनीकी हाई लेवल कमेटी की जांच की कोई आवश्यकता जिला स्तर पर नहीं समझी गई, बल्कि एक इंजीनियर व ईओ की संयुक्त टीम ने जांच करके सभी आरोपियों को क्लीनचिट दे दी। शिकायतकर्ता मोहम्मद खालिद ने इस मामले में डीएम अरविन्द मलप्पा बंगारी से मिलकर बताया कि उन्होंने एक बार शिकायत की थी, लेकिन उनके एक शिकायती पत्र पर दो कमेटियां बन गई। उन्हें इस बात की जानकारी तब हुई जब उनके पास जांच कमेटी की ओर से एक नोटिस पहुंचा और उन्हें पक्ष रखने के लिए बुलाया गया। इस पूरे मामले में स्थानीय जांच कमेटी पर तो सवाल खड़े हुए ही है। इसके अलावा लखनऊ में लम्बित चल रही जांच को लेकर भी सवालिया निशान लग रहे है। दो साल तक तो जिला स्तर पर ही जांच अटकी रही। अब यह फाइल शासन स्तर पर करौली की आस में है।

बाबू व अफसर पर कार्रवाई की मांग 
शिकायती पत्र में मोहम्मद खालिद ने बताया कि इस पूरे मामले में बाबू व अफसर की भूमिका संदिग्ध है। इस बाबू ने दोषियों को बचाने के उद्देश्य से साठगांठ करके कथित कमेटी से जांच करा दी। तत्कालीन अपर जिलाधिकारी अरविन्द मिश्रा के जाते-जाते यह रिपोर्ट भी उनसे अवलोकित करा दी। उन्होंने डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगाली से इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

वर्जन
अमृत योजना के अंतर्गत जल निगम की शहर इकाई ने सीवर लाईन बिछाने व बंद लाईन को खोलने का काम किया था। इसको लेकर शिकायत मिली है, जिसकी जांच कराई जा रही है। जो लोग दोषी होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।’
अरविन्द मलप्पा बंगारी, डीएम, मुजफ्फरनगर

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