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दिवाली के जश्न ने दिल्ली की हवा में घोला जहर! दिल्ली-एनसीआर में लागू हुआ GRAP-2

मंगलवा की सुबह दिल्ली-एनसीआर में नजर आई जहरीली धुंध
LP Live, New Delhi: दिल्ली-एनसीआर यानी दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम व फरीदाबाद आदि क्षेत्र में दिवाली के जश्न के कारण हवा जहरीली हो गई है, जिसक कारण दिल्ली-एनसीआर में सुबह धुंध की मोटी चादर नजर आने लगी। मसलन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। इसका कारण किवाली की देर रात तक बड़े पैमाने पर फोड़े पटाखे हैं।

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दिल्ली-एनसीआर की हव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोगों कों सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। यानी दिवाली के जश्न के तुरंत बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली होना शुरु हो गई गइर् थी। यही कारण है कि मंगलवार (21 अक्टूबर) की सुबह राजधानी और आसपास के इलाकों में चौतरफा जहरीली धुंध की चादर छाई हुई नजर आने लगी। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की बात की जाए तो 21 अक्टूबर, सुबह 6:00 बजे राजधानी दिल्ली में यह सूचकांक 531,नरेला (दिल्ली) 551, वजीरपुर (दिल्ली) 408, नोएडा में 407, गुरुग्राम में 402 की गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। यह राष्ट्रीय औसत से 1.8 गुना अधिक है जबकि सोमवार (दिवाली) की शाम को भी 38 में से 34 निगरानी स्टेशनों पर प्रदूषण का स्तर ‘रेड जोन’ (बहुत खराब से गंभीर) में दर्ज किया गया था। मसलन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समीर ऐप के अनुसार सुबह 6:00 बजे तक कई क्षेत्रों में AQI का स्तर 400 से ऊपर यानी ‘गंभीर’ श्रेणी में था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार वायु गुणवत्ता के मानकों में 401 से 500 के बीच AQI को गंभीर माना जाता है। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है कि दिल्ली में मंगलवार और बुधवार को वायु गुणवत्ता के गंभीर श्रेणी में बने रहने या और बिगड़ने की आशंका है।

दिल्ली में GRAP-2 लागू
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए पहले ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP-2) लागू कर दिया गया है। इसके तहत डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहेगा। वहीं निजी गाड़ियों के इस्तेमाल को कम करने के लिए पार्किंग फीस और सीएनजी-इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो की सर्विस में वृद्धि करने का प्रावधान है। जबकि नैचुरल गैस, बायो गैस, एलपीजी से चलने वाले जेनरेटर चलाने की अनुमति दी गई है। दूसरी और निर्णय समर्थन प्रणाली के अनुसार सोमवार को वायु प्रदूषण में परिवहन उत्सर्जन का योगदान 15.6 प्रतिशत रहा, जबकि उद्योगों सहित अन्य कारकों का योगदान 23.3 प्रतिशत था।

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