
उद्घाटन अवसर पर संकुल प्रभारी दौलतपुर राजेन्द्र सैनी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में इसे शिक्षण में अहम भूमिका के रूप में रखा गया है। उन्होने कहा कि बालशोध मेले का मुख्य उदेश्य बच्चों में खोज की प्रवृति के साथ वैज्ञानिक सोच विकसित कर समस्या के समाधान का कौशल विकसित करना है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक मौ. इकराम ने कहा कि बालशोध मेले का उद्देश्य यह भी है कि बच्चे इन शोध के माध्यम से स्वयं को अपने परिवेश से जोड़कर देखे साथ ही अपने आसपास के सांस्कृतिक-सामाजिक विविधता को समझे। उन्होने कहा कि बच्चे अनुप्रयोगों को ढूंढे और उसमे सामंजस्य बना पाए। विज्ञान में क्यों और कैसे को जाने। छात्र स्वयं प्रयोग करेंगे तो इससे बखूबी समझ पाएंगे। वे वैज्ञानिक तरह से सोचने और समझने लगेंगे। भविष्य में भी इस तरह के आयोजन किए जाते रहेंगे। शिक्षक तथा बाल शोध मेला प्रभारी संजय वत्स ने कहा कि बाल शोध मेला अर्थात बच्चों के द्वारा की गई खोज को एक मेले का आयोजन कर प्रस्तुत करना जिससे बच्चों में आधारभूत क्षमताओं का विकास होता हैं। बच्चे प्रश्नों का निर्माण कर अपने घर गांव पड़ोस और लोगों से बातचीत कर एक क्रमबद्ध तरीके से इस प्रक्रिया को संकलित करते हैं। जिससे उनका जुड़ाव बाहरी ज्ञान से होता है और वे रटन्त प्रणाली से बाहर आते हैं। इस अवसर पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय पीरान कलियर प्रथम, द्वितीय, महमूदपुर, धनौरा स्कूल ने प्रतिभाग कर विभिन्न स्टाल लगाया। कार्यक्रम में प्रधानाध्यापक मौ. इकराम, नूरआलम, अनुज जिंदल, नितिन कुमार, डॉ. फुरकान, यूनूस, संदीप सैनी, अजीम प्रेमजी फाऊंडेशन के संदर्भदाता प्रवीन उनियाल, विरेन्द्र छोकर, सुमन, तैय्यबा, इरफाना, डीएलएड प्रशिक्षु कुलदीप कुमार, राहुल कुमार ने सहयोग प्रदान किया।
