उत्तर प्रदेशस्वास्थ्य

बदहाली: मुजफ्फरनगर की जनसंख्या 41 लाख और चिकित्सक केवल 70

LP Live, Muzaffarnagar: उत्तर प्रदेश में चिकित्सकों को बड़ी कमी मरीजों को झेलनी पड़ रही है। लोकपथ लाइव ने मुजफ्फरनगर में चल रही चिकित्सकों की कमी के कारण होने वाली परेशानियों को भांपने के लिए पड़ताल की। सामने आया कि जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल सहित जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कुल 70 सरकारी चिकित्सक ही तैनात है, जबकि जिले की जनसंख्या 41,38,605 हैं। सरकारी अस्पतालों में ओपीडी व अन्य स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर चलाने के लिए शीर्ष अफसरों ने संविदा के चिकित्सकों को अस्पतालों में तैनात कर तो रखा है, लेकिन उनमें भी अधिकतर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को महंगी करने की सेंधमारी वहीं से कर रहे हैं। शाम के समय वह अपने निजी नर्सिंग होम व लैब पर मरीजों को बुलाकर सिस्टम खराब कर रहे हैं। यह हाल जिला अस्पताल की ओपीडी और जिला महिला अस्पताल की ओपीडी में तैनात चिकित्सक सबसे अधिक कर रहे हैं।

 स्टाफ नर्स संभाल रहे ओपीडी के मरीज
चिकित्सकों की कमी के चलते हाइकमान से ही सिस्टम को बदला गया है। ग्रामीण क्षेत्रों का कवर करने के लिए स्टाफ नर्स को ही ट्रेनिंग लेकर सीएचओ बनाकर तैनाती दी गई है। जिले में करीब 200 कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर पर स्टाफ नर्स को ही प्रभारी बनाया हुआ है, जो रूटीन के मरीजों की ओपीडी करती है। इसके अतिरिक्त जनपद में 12 सीएचसी हैं और 42 पीएचसी है, जिन पर शासन के चिकित्सकों की तैनाती प्रभारी के रूप में हैं। हालांकि कि किसी भी केंद्र पर विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है।

प्राइवेट चिकित्सकों की परामर्श फीस और दवाइयां अधिक महंगी
जिले में सरकारी चिकित्सकों की संख्या कम होना और विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए निजी क्षेत्र में कुछ चिकित्सक जनपदवासियों का सहारा बने हुए हैं, लेकिन उनकी फीस अधिक होने के कारण मध्यम वर्गीय मरीज उनके पास जाने से डरता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मुजफ्फरनगर में झोलाछाप चिकित्सक ही एक दिन की दवाई 100 रुपये में देते हैं। इसके बाद चिकित्सकों की परामर्श फीस ही 400 रुपये, 600 रुपये और 1200 रुपये कर रखी है। इसके अलावा निर्धारित मेडिकल स्टोर पर ही लिखी दवाई की मार है। इसके अलावा मुजफ्फरनगर में अल्ट्रासाउंड फीस भी दिल्ली से महंगी ली जा रही है।

क्या कहते हैं सीएओ
मुजफ्फरनगर मे तैनात सीएमओ डा. महावीर सिंह फौजदार कहते हैं कि जिले में चिकित्सकों की कमी तो ज्यादा है। 100 से अधिक पद खाली पड़े हैं, जिनकी डिमांड भेजी जाती है। संविदा चिकित्सकों को तैनात कर ओपीडी चलवा रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की अधिक कमी जिले में हैं। समस्या जहां से आती है तत्काल पूर्ण करने के प्रयास रहते हैं।

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