भारत के 12 वैज्ञानिकों को मिल चुका है नॉबेल पुरस्कार
LP Live, Bhiwani: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भिवानी में चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण और तीसरे शैक्षणिक भवन की रखी आधारशिला रखी। इस मौके पर उन्होंने हरियाणा में विज्ञान तकनीकी क्षेत्र में दिये जाने वाले विज्ञान रत्न पुरस्कार की राशि को दो लाख से बढ़ाकर चार लाख करने का भी ऐलान किया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी में राष्ट्र निर्माण में वैज्ञानिकों की भूमिका विषय पर आयोजित दो दिवसीय विज्ञान सम्मेलन के शुभारंभ समारोह को बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने करीब साढ़े पांच लाख रुपए की लागत से विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित की गई स्वामी विवेकानंद की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। वहीं उन्होंने यहां विश्वविद्यालय में 128 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले तीसरे शैक्षिणिक भवन की आधाशिला भी रखी। मुख्यमंत्री ने यहां पर विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई विज्ञान प्रदर्शनी और श्रीनिवास रामानुजन भवन का अवलोकन भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल, भिवानी के विधायक घनश्याम सर्राफ, बवानीखेड़ा से विधायक बिशम्बर वाल्मिकी और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके मित्तल भी मौजूद रहे।
वैज्ञानिकों ने बढ़ाया भारत का गौरव
इस मौके पर बोलते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत के वैज्ञानिकों की दुनिया को बहुत बड़ी देन है। गणित के क्षेत्र में जीरो, संख्या प्रणाली व पाई का मान दुनिया को हमारे गणितज्ञों ने दिए। ऐसे भारत के 12 वैज्ञानिक हुए हैं, जिनको विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के सर्वोच्च नॉबेल पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। भारत के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ रामानुज ने ज्यूमेट्री की 4000 से भी अधिक थ्योर्म की खोज की। उनकी प्रतिभा को देखते हुए कैम्ब्रीज विश्वविद्यालय के प्रो. हार्डी ने उनको अपने साथ रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीवी रमन को उनके रमन प्रभाव के लिए 1930 में तथा बायोकेमिस्ट हर गोबिंद खुराना को प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करने के लिए नॉबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विज्ञान में भारतीय स्वर्णिम इतिहास के दिग्गजों में होमी जहांगीर भाभा, जगदीश बसु, रामानुजन, शांतिस्वरुप भटनागर आदि प्रमुख हैं, जिनका विज्ञान के क्षेत्र में अमूल्य योगदान है। आधुनिक युग में भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम का नाम भी अग्रणी है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे वायु की तरह तेज गति से चलते हुए आगे बढ़े और विज्ञान के क्षेत्र में नए अविष्कार कर भारत का नाम रोशन करें।