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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी पर दिया जवाब

आठ माह तक आरबीआई से विचार विमर्श कर किया था फैसला

LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी को लेकर अपने जवाब के रुप में एक शपथपत्र दाखिल कर कहा है कि नोटबंदी करने के फैसले से पहले सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से आठ महीने तक लंबा विचार विमर्श करने के बाद किया था। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 नवंबर की तारीख तय की है।
सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी के खिलाफ दायर विवेक नारायण शर्मा जैसे कई याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बीवी नागरत्ना वाली 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। ऐसी याचिकाओं पर सुप्रीम कोट द्वारा केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया, जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र में कहा है कि आठ नवंबर को सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की। यह फैसला रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की विशेष अनुशंसा पर लिया और इससे पहले सरकार ने फरवरी से लेकर नवंबर तक आरबीअई से विचार-विमर्श इन नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला किया, क्योंकि 500 और 1000 के नोटों की तादात बेहद रुप से बढ़ गई थी।
नोटबंदी से हुए फायदे
सरकार ने यह भी तर्क दिया कि नोटबंदी से जाली करंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और कर चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की प्लानिंग का हिस्सा और असरदार तरीका माना गया था। यह आर्थिक नीतियों में बदलाव से जुड़ी श्रृंखला का सबसे बड़ा कदम था। इस फैसले के फायदे भी सरकार ने गिनाते हुए अपने जवाब में कहा कि नोटबंदी से नकली नोटों में कमी, डिजिटल लेन-देन में बढ़ोत्तरी, बेहिसाब आय का पता लगाने जैसे कई लाभ हुए हैं। अकेले अक्टूबर 2022 में 730 करोड़ का डिजिटल ट्रांजैक्शन हुआ यानी एक महीने 12 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन रिकॉर्ड किया गया है। जो 2016 में 1.09 लाख ट्रांजैक्शन यानी करीब 6952 करोड़ रुपए था।

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