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हरियाणा: हिसार के किसानों ने किया संसद भवन का भ्रमण

उपराष्ट्रपति आवास पर किसानों के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के निमंत्रण पर हरियाणा के हिसार से आए किसानों ने शुक्रवार को संसद भवन का भ्रमण किया और नए संसद भवन को भी देखा। किसानों ने उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात भी की। ये किसान उपराष्ट्रपति भवन भी गये, जहां उन्होंने उपराष्ट्रपति की पत्नी डा. सुदेश धनखड़ से मुलाकात की। इस मौके पर महिला किसानों ने हरियाणवी भाषा में लोक गीत भी सुनाए।

दरअसल उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पिछले महीने 26 दिसंबर को हिसार स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान का दौरा किया था, जहां उन्होंने समारोह में उपस्थित किसानों से मुलाकात करते हुए देसी अंदाज में ‘दिल्ली आवो थारो घर सै’कहते हुए नई दिल्ली आकर नया संसद भवन देखने के लिए आमंत्रित किया था। उपराष्ट्रपति के निमंत्रण पर आज केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक किसानों के साथ दिल्ली पहुंचे, जहां उन्हें संसद भवन का गाइडेड टूर कराया गया। उपराष्ट्रपति धनखड़ से मुलाकात के बाद हरियाणा के हिसार के विभिन्न गांवों के दस महिलाओं समेत 40 किसानों ने संसद भवन में लंच किया। इसके बाद वे उपराष्ट्रपति निवास पर पहुंचे जहां किसान भाई बहनों का स्वागत सत्कार श्रीमती (डॉ) सुदेश धनखड़ द्वारा किया गया।

महिला किसानों ने सुनाए लोकगीत
उपराष्ट्रपति निवास पर हरियाणा की उत्साही महिला किसानों ने स्वरचित लोकगीत गाया जिसके बोल थे – “जगदीप धनखड़ ने फोन करया था जल्दी आइयो संसद में… आई मैं क्यूंकर आऊं, मेरा ससुरा रोज लड़े सै’। उपराष्ट्रपति भी लोकगीत की धुन पर स्वयं को थिरकने से न रोक सके। उपराष्ट्रपति ने किसानों से कहा कि दुनिया में सबसे बड़ा व्यापार कृषि उत्पादन का है। गेहूं, बाजरा, चावल, दाल, सब्जी, दूध सब कृषि का है और किसान इनको पैदा करता है और पसीना बहाकर मेहनत करता है। उन्होंने कहा कि केवल खेती नहीं, बल्कि कृषि उत्पादों के व्यापार में भी किसानों को दिलचस्पी लेनी चाहिए। धनखड़ ने कहा कि किसान को अपने उत्पादन में वैल्यू ऐड करनी चाहिए। दूध का पनीर, और सरसों का तेल निकालकर बेचना चाहिए। महिला किसानों से बात करते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि छोरा-छोरी में कोई फर्क नहीं बचा है। जो थोड़ा एक फर्क है यह है कि छोरी थोड़ी ज्यादा आगे पहुंच गई है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि छोरा पढ़ लिखकर यह व्यापार क्यों करें? उसे तो नौकरी करनी चाहिए। व्यापार में बहुत दम है। यह संकल्प ले लेना चाहिए कि अपने बच्चे पढ़ लिख के और भी काम करें पर कृषि के उत्पादन से व्यापार जरूर करें।

हरियाणा के अखाड़े गुरुकुल जैसे
हरियाणा के अखाड़ों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि हमारे अखाड़े गुरुकुल जैसे हैं जब हरियाणा के अखाड़े के लोग मुझसे मिले थे, तो वह तो उनसे मिलकर दंग रह गया। उन्होंने कहा बच्चों को दूध कहां से मिलता है, तो वह कहते हैं कि गांव के लोग देते हैं। खाने पीने की व्यवस्था कैसे होती है, तो बोले की सामूहिक रूप से होती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अखाड़े में जाने से बच्चों के बिल्कुल बुरी आदत नहीं आती है। अखाड़े का मतलब… अपना जो चरित्र है यह सोने का रहता है। अखाड़े में जाने वाला छोरा कभी यह ड्रग कभी नहीं लेता। उसका ध्यान पॉजिटिव रहता है। धनखड़ ने किसानों से गांव में भाईचारा बढ़ाने की भी अपील की।

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