हाई कोर्ट की तीन पूर्व जजों की कमेटी भी बनाई
LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा के मामले में हाईकोर्ट की ती पूर्व महिला जजों की जांच कमेटी बनाई है। यह कमेटी सीबीआई और पुलिस की जांच से अलग मामलों की जांच करेगी। वहीं कोर्ट ने कहा कि हिंसा के सभी मामलों की जांच सीबीआई को स्थानांतरित की गई है, लेकिन विभिन्न राज्यों के कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के पांच आईपीएस अधिकारी इस जांच की अध्यक्षता करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा मामले पर सुनवाई करते हुए मामले की जांच के लिए एक पैनल बनाकर न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता में हाई कोर्ट की तीन पूर्व महिला जजों की कमेटी बनाई है। इस कमेटी में पूर्व जज न्यायमूर्ति शालिनी जोशी और न्यायमूर्ति आशा मेनन भी शामिल की गई हैँ। यह पुलिस और सीबीआई की जांच से अलग मामलों की जांच करेगी। सुप्रीम कोर्ट कहा कि एसआईटी 42 ऐसे मामलों को देखेंगी, जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर पिछली सुनवाई में राज्य में हुई हिंसा पर पुलिस को फटकार लगाई थी। इसके साथ ही मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह को तलब किया था। डीजीपी भी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
सीबीआई जांच दायरे में 12 मामले
सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मणिपुर में हिंसा के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित 12 एफआईआर की जांच सीबीआई करेगी और जांच के दौरान जब भी ऐसे अपराध सामने आएंगे, तो सीबीआई उसकी भी जांच करेगी। अटॉर्नी जनरल के अनुसार राज्य में बहुत सारे हस्तक्षेप हैं जो परिवारों को शव लेने से रोकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की अनिच्छा दिखाने के लिए एक कृत्रिम स्थिति पैदा की जाती है। यह संयोग है कि इस कोर्ट में सुनवाई से ठीक एक दिन पहले वहां कुछ बड़ा होता है।
कोर्ट ने मांगा कार्यवाही का ब्यौरा
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान मणिपुर हिंसा मामले में की गई कार्रवाइयों का ब्यौरा मांगा है। मसलन पुलिस और जांच एजेंसियों को हिंसा से जुड़ी सभी 6 हजार एफआईआर की जानकारी सौंपने को कहा गया है, जिनकी अलग अलग जांच करने पर कोर्ट ने बल दिया है। इस ब्यौरे में गिरफ्तारियों, न्यायायिक हिरासत और बयानों जैसी जानकारी भी तलब की गई हैं। इस ब्यौरे पर कोर्ट मंगलवार को अपने विचार करके दिशा निर्देश दे सकता है।