सहकारी संस्थाओं के सुधार पर गौर करेगी संसदीय संयुक्त समिति
संसद ने जेपीसी को सौंपा बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक
बजट सत्र दूसरे हिस्से के पहले सप्तांह में समिति सरकार को सौंपेगी अपनी रिपोर्ट
LP Live, New Delhi: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ को मजबूत बनाने की दिशा में सरकार द्वारा पेश किये गये बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022 को संसद की संयुक्त समिति को सौँपा दिया है, जो सहकारी संस्थाओं के मुख्य कार्य सहकारी शिक्षण व प्रशिक्षण पर विचार विमर्श करेगी।
केंद्र सरकार ने संसद में बहुराज्य सहकारी समिति विधेयक को संशोधन के लिए पेश किया। देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने और उसके मुख्य कार्यो की सार्थकता तथा स्वायत्तता की दिशा में बहुराज्य सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2022 संसद के दोनों सदनों की संयुक्तं समिति को भेज दिया गया है। इस विधेयक को जेपीसी को सौंपने की प्रक्रिया के तहत इसका प्रस्ताव खुद केन्द्री य गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रखा। संसद की इस संयुक्ता समिति में लोकसभा के 21 और राज्यिसभा के 10 सदस्यह हैं। शाह ने बताया कि समिति आगामी बजट अधिवेशन के दूसरे हिस्से के पहले सप्तांह के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इससे पहले अनेक विपक्षी दलों ने विधेयक को संसदीय समिति को भेजने की मांग की थी। ये विधेयक इस महीने की शुरूआत में सदन में पेश किया गया था। इसमें बहुराज्यय सहकारिता समिति कानून 2002 में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य इन सहकारी समितियों के प्रशासन में सुधार लाना और पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढावा देना है। विधेयक में सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारी सूचना अधिकारी और सहकारी ओम्बुंड्समैन बनाए जाने का प्रस्ताव है।
सहकारिता की स्वायत्तता पर न आए आंच
बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022 को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेजने पर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ एवं इफको के अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने विश्वास जताया कि जेपीसी भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के विचारों पर अवश्य ध्यान देगी, ताकि इन समितियों के प्रजातांत्रिक स्वरूप और स्वायत्तता पर कोई आंच नहीं आये और उनकी हितों की रक्षा हो। उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक में सहकारी शिक्षा निधि के रख-रखाव का जिम्मा सरकार के बजाय, पूर्व की तरह भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के पास रहना चाहिये, ताकि सहकारिताओं की स्वायत्तता कायम रहे, ऐसा नहीं करने से इसका प्रतिकूल प्रभाव राज्यों पर भी पड़ेगा और उनकी स्वायत्तता पर खतरा मंडरायेगा।भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ, सहकारी आंदोलन की शीर्षस्थ संस्था है, जिसका मुख्य कार्य सहकारी शिक्षण और प्रशिक्षण है।