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सदन में उच्चतम मापदंड स्थापित करें जनप्रतिधि: बिरला

राजस्थान विधानसभा सदस्यों के प्रबोधन कार्यक्रम में बोले लोकसभा अध्यक्ष

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी विधायकों को दिये गुरुमंत्र
LP Live, Jaipur: संसद या विधानसभा की बैठक के दौरान सदन में सदस्यों को आचरण के उच्चतम मापदंड स्थापित करने की आवश्यकता है। भले ही लोकतंत्र में नीतियों और मुद्दों पर मतभेद हों, लेकिन ऐसी असहमति सदन की गरिमा और मर्यादा के दायरे में रहकर व्यक्त करने की आवश्यक है।

यह बात मंगलवार को राजस्थान विधानसभा जयपुर में विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कही। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन संसदीय मर्यादा के बीच आचरण करना प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है, सदन के माध्यम से वे लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में अपना योगदान दे। बिरला ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा यह अभिभाषण हमारी संसदीय व्यवस्था में महत्वपूर्ण मौका होता है जिसका सभी को सम्मान करना चाहिए। उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे सदन में अपना पूरा समय दें और वरिष्ठ नेताओं और सदस्यों के भाषण सुनें और उनसे सीखें। उन्होंने कहा कि सदस्य जितना अधिक समय सदन में बैठेगा, उसे उतना अधिक अनुभव प्राप्त होगा और वह पूरे राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से अवगत होगा। बिरला ने सदस्यों को कानूनो और बजट पर पुराने वाद-विवाद, कानूनों और नियमों को पढ़ने का सुझाव भी दिया, जिससे उन्हें बेहतर विधायक बनने में मदद मिलेगी। बिरला ने कहा कि सदस्य जितना अधिक अध्ययन करेगा, उसकी चर्चा उतनी ही सारगर्भित होगी और उतने ही बेहतर कानून बनेंगे।

तकनीक का सदुपयोग करने का सुझाव
जन प्रतिनिधि के रूप में सदस्यों की भूमिका के अलावा बिरला सदस्यों को प्रौद्योगिकी का सदुपयोग करने का सुझाव देते हुए कहा कि उन्हे टेकनोलॉजी फ्रेंडली होना चाहिए और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने के लिए प्रौद्योगिकी को एक प्रभावी माध्यम के रूप में अपनाना चाहिए। प्रौद्योगिकी से सदस्यों को अपने क्षेत्र के लोगों के साथ अधिक सहजता से जुड़ने और विधायकों और जन प्रतिनिधियों के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन सुगमता से करने मंण मदद मिलेगी। कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्य मंत्री भजन लाल शर्मा; राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, राजस्थान सरकार के मंत्री, विधायकगण और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी समापन सत्र में उपस्थित थे। इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन विधान सभा के लगभग 200 सदस्यों के लिए किया गया था, जिसमें राजस्थान विधान सभा में पहली बार 74 निर्वाचित सदस्य भी शामिल थे।

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ विधायकों और विषय विशेषज्ञों ने ‘संसदीय शिष्टाचार और आचरण’, संसद/विधानमंडलों में बजटीय प्रक्रियाएं और वित्तीय कार्य’, ‘संसदीय विशेषाधिकार और आचार, प्रश्न काल, अल्पकालीन चर्चा, स्थगन प्रस्ताव, ध्यानाकर्षण, अविलंबनीय लोक महत्व की सूचनाओं का महत्व और उपयोग, और संसदीय व्यवस्था में समितियों की भूमिका और कार्यप्रणाली जैसे विषय पर चर्चा की।

सदन का सुचारू संचालन सदस्यों का दायित्व : धनखड़
इससे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित एक दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष संसदीय व्यवस्था की रीढ़ होता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सदस्यों का आचरण मर्यादित और अनुकरणीय होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि वे हमारे संविधान की मूल प्रति की प्रतिलिपियां सदस्यों को उपलब्ध कराएं जिसमें भारत का 5000 साल का इतिहास चित्रों में उकेरा गया है। उन्होंने कहा कि सदन को चलाना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का साझा दायित्व है। उन्होंने कहा सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही विधान सभा का अंग हैं। विधानसभा को एक परिवार की तरह सम्मति से काम करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के बीच परस्पर विश्वास और सौहार्द का संबंध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास के विषयों को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।

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