संसदीय समिति ने किया गुरुग्राम की मॉडल जिला जेल भौंडसी का दौरा
जेल में विभिन्न सुविधाओं को निरीक्षण कर की समीक्षा
LP Live, New Delhi:
राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियम के तहत संसद की कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत तथा कानून एवं न्याय संबन्धी स्थाई समिति जेलों में बंदियों को दी जा रही कानूनी सहायता के कार्य की समीक्षा हेतु मंगलवार को गुरूग्राम जिला की मॉडल जिला जेल भौंडसी का दौरा किया।
राज्यसभा सांसद तथा बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली 11 सदस्यीय संसदीय स्थाई समिति ने भौंडसी जेल का दौरा कर यह समझने का प्रयास किया कि जेल में बंद बंदियों को किस प्रकार से कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। उसकी प्रक्रिया क्या है, जेल में बंदियों से अधिवक्ता कैसे संपर्क करते हैं आदि विषयों को समिति ने बारीकी से समझा। करीब तीन घंटे चली इस समीक्षा के दौरान इस संसदीय समिति ने जेल के विभिन्न हिस्सों जैसे जेल रेडियों, स्किल डिवलेपमेंट सैंटर, धुन प्रोजेक्ट, लीगल केयर एवं स्पोर्ट सैंटर, महिला बैरेक, भोजनालय, अस्पताल आदि जगहों का निरीक्षण किया। समिति भोंडसी जेल में लागू किया जा रहा प्रिज़न मैनेजमेंट सिस्टम अर्थात जेल प्रबंधन प्रणाली से ख़ासी प्रभावित हुई।
नालसा मुहैया कराता है कानूनी सहायता
इस दौरान समिति के समक्ष नालसा के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन ने नालसा की गतिविधियों पर आधारित प्रेजेंटेशन दी। हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण तथा डीएलएसए गुरूग्राम की ओर से सीजेएम ललिता पटवर्धन ने प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए समस्त गतिविधियों को रेखांकित किया। श्रीमति पटवर्धन ने दर्शाया कि किस प्रकार से व्यक्ति के गिरफ्तार होने से लेकर जेल में बंदी के तौर पर रखे जाने और उसकी रिहाई तक विधिक सेवाएं प्राधिकरण यह सुनिश्चित करता है। इसके लिए जिला एवं सत्र न्यायधीश, सीजेएम तथा अन्य न्यायिक अधिकारी समय-समय पर जेल का दौरा कर बंदियों से वार्तालाप करके यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है। जिन बंदियों के अधिवक्ता नहीं होते उनके लिए विधिक सेवाएं प्राधिकरण पैनल अधिवक्ताओं में से अधिवक्ता मुकर्र करता है। नालसा लोगों को सस्ता व सुलभ न्याय दिलवाने के लिए लोक अदालतों का आयोजन करवाया जा रहा है।
वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई
जेल विभाग के पुलिस महानिदेशक मोहम्मद अकिल ने बताया कि हरियाणा प्रदेश में 20 जेल हैं जिनमें से तीन सैंट्रल जेल तथा 17 जिला जेल हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 17 जेलों में वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की सुविधा उपलब्ध हैं जहां पर न्यायालय सीधे बंदी की सुनवाई जेल परिसर से कर सकता है। यह समिति भोंडसी जेल में लागू किया जा रहा प्रिज़न मैनेजमेंट सिस्टम अर्थात जेल प्रबंधन प्रणाली से ख़ासी प्रभावित हुई। इस प्रणाली में सॉफ़्टवेयर की मदद से जहाँ एक ओर जेल अधिकारी बंदियों पर आसानी से निगरानी रख सकते हैं वहीं दूसरी ओर बंदियों को भी प्रणाली से काफ़ी सुविधाएँ मिलती है, मसलन उन्हें कैंटीन ख़र्च के लिए नक़दी नहीं रखनी पड़ती, मेडिकल ओपीडी, अपील नम्बर, तीस दिन के भीतर रिहा होने वालों की सूची आदि का ब्यौरा सरलता से मिलता है। यह प्रणाली बंदी के बायोमीट्रिक निशानों से रियल टाइम आधार पर अप्डेट होती रहती है। इसके अलावा समिति ने देखा कि किस प्रकार से बंदी अपना मनोरंजन करते हैं और वहीं जेल परिसर में बने खेल के मैदानों में खेलते हैं, गार्डनिंग भी करते हैं और साफ़ सफ़ाई का भी ध्यान रखते हैं।
दौरे में ये अधिकारी रहे साथ
संसदीय स्थाई समिति के दौरे में हरियाणा के जेल विभाग के पुलिस महानिदेशक मोहम्मद अकिल, पुलिस महानिरीक्षक बी सतीश बालन व जगजीत सिंह, राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नालसा) के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन, हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सदस्य सचिव सुभाष महला, गुरूग्राम के जिला एवं सत्र न्यायधीश तथा जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) के अध्यक्ष सूर्य प्रताप सिंह, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी एवं डीएलएसए की सचिव ललिता पटवर्धन, जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव, भौंडसी जेल के अधीक्षक हरेंद्र सिंह, फरीदाबाद जेल के अधीक्षक जयकिशन छिल्लर, रोहतक जेल के अधीक्षक सुनील सांगवान सहित कई एनजीओ तथा जेल प्रशासन से जुडे़ अधिकारीगण उपस्थित थे।