देशबिहारराजनीतिराज्य

विधानमंडलों में बैठकों की घटती संख्या चिंताजनक: ओम बिरला

विकसित भारत के लिए वित्तीय स्थिरता जरूरी: हरिवंश

पटना में हुआ 85वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन
LP Live, Patna: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधानमंडलों की बैठकों की घटती संख्या और उनकी गरिमा और मर्यादा में कमी की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विधानमंडल चर्चा-संवाद के मंच हैं और जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करें।

पटना में बिहार विधानमंडल परिसर में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन समारोह में मंगलवार को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने हिस्सा लिया। उद्घाटन समारोह में बोलते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आगाह किया कि बैठकों की संख्या कम होने के कारण विधानमंडल अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में विफल हो रहे हैं। उन्होंने विधिनिर्माताओं से आग्रह किया कि वे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों के समाधान के लिए कुशलता से कार्य करते हुए सदन में समय का उपयोग प्रभावी ढंग से करने को प्राथमिकता दें और सुनिश्चित करें कि जनता की आवाज पर्याप्त रूप से उठाई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे सदनों की गरिमा और प्रतिष्ठा को बढ़ाना अति आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी दलों को सदन में सदस्यों के आचरण के संबंध में अपनी आचार संहिता बनानी चाहिए ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान हो। बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक विचारधारा और संबद्धता से ऊपर उठकर संवैधानिक मर्यादा का पालन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपनी विचारधारा और दृष्टिकोण व्यक्त करते समय स्वस्थ संसदीय परंपराओं का पालन करना चाहिए। बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को सदनों में अच्छी परंपराएं और परिपाटियाँ स्थापित करनी  चाहिए और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाना चाहिए। लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करते हुए पीठासीन अधिकारियों को विधानमंडलों को लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाना चाहिए और उनके माध्यम से लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि एआईपीओसी की तरह राज्य विधान सभाओं को भी अपने स्थानीय निकायों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के मंच तैयार करने चाहिए।

कामकाज में प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने का आग्रह
विधानमंडलों को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने पर जोर देते हुए बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से विधानमंडलों के कामकाज में प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और सोशल मीडिया के उपयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि संसद और राज्य विधानमंडलों को जनता के लिए अधिक सुलभ बनाना समय की मांग है, उन्होंने सुझाव दिया कि तकनीकी नवाचारों के माध्यम से विधायी कार्यों की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराई जा सकती है। यह टिप्पणी करते हुए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित साधनों से संसदीय और विधायी कार्यवाही में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकती है, श्री बिरला ने कहा कि भारत की संसद ने इस प्रक्रिया की शुरुआत पहले से ही कर दी है जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। इस संदर्भ में, श्री बिरला ने बताया कि 2025 के अंत तक ‘एक राष्ट्र, एक विधायी मंच’ का कार्य पूरा हो जाएगा। राज्य विधान सभाओं की स्वायत्तता को संघीय ढांचे का आधार बताते हुए बिरला ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची में उल्लिखित यह शक्ति तभी सार्थक होगी जब राज्य विधानमंडल निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा के साथ अपना कार्य करें।

वित्तीय सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा की तर्ज पर मिले प्राथमिकता: हरिवंश
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने इस अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के सत्र को संबोधित करते हुए विधायिका में बजट की प्रभावी जांच, आमद व खर्च पर बारीकी से बहस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए पार्टियों के बीच राजनीतिक सहमति होनी चाहिए और देश की वित्तीय सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा की तरह ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए विधायिकाओं को यह जांचना चाहिए कि उनके संबंधित राज्यों में बजट कुशलतापूर्वक आबंटित किया जा रहा है या नहीं और कर्ज का बोझ तो नहीं बढ़ रहा है। यदि हम आर्थिक शक्ति बनना चाहते हैं, तो हमें लोकलुभावन खर्चों से दूर रहने के लिए नए सिरे से राजनीतिक सहमति बनानी होगी। उन्होंने आगे कहा कि “भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल के दिनों में राज्यों द्वारा खर्च प्रतिबद्धता की चुनौतियों के बारे में आगाह किया है, जो ऋण बोझ को बढ़ा सकते हैं। अक्सर बजट के अधिक आबंटन की मांग के बारे में हमने विधायिका की बहसों में सुना है, लेकिन खर्च के लिए धन कहां से आये? राजस्व कैसे बढ़ाया जाए, इस पर शायद ही विधायिका में कोई सुझाव रखता है।

‘संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया’ का विमोचन
इस अवसर पर बिरला ने ‘संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया’ के 8वें अंग्रेजी संस्करण और 5वें हिंदी संस्करण का विमोचन किया। लोक सभा के महासचिव, श्री उत्पल कुमार सिंह द्वारा संपादित यह अद्यतन संस्करण भारतीय संसद के कामकाज और संचालन को समझने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन है। इस पुस्तक में संसदीय पद्धतियों, नियमों और परंपराओं के विस्तृत विवरण के साथ ही विधायी प्रक्रिया और निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका के बारे में भी बहुमूल्य जानकारी दी गई है। इस अद्यतन संस्करण का विमोचन पारदर्शिता, प्रभावी शासन तथा विधिनिर्माताओं और आम जनता को संसदीय प्रक्रियाओं की गहन जानकारी प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

admin

लोकपथ लाइव वेबसाइड एक न्यूज बेवसाइट है। यहां खबरों के साथ देश के प्रतिभाशाली व्यक्तियों का परिचय भी उनकी उपलब्धियों के साथ कराना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। हमारा मकसद आप तक सच्ची खबरें तथ्यों के साथ पहुंचाना है। लोकपथ लाइव पर अंतराष्ट्रीय, राष्ट्रीय सहित विभिन्न राज्यों के जिलों और गांव तक की ताजा खबरें पढ़ सकते हैं। - प्रधान संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button