दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल परियोजना को मिलेगी रफ्तार
योगी सरकार ने 350 करोड़ रुपए के आवंटन को दी मंजूरी


राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 1306 करोड़ की लागत से चल रही है परियोजना
LP Live, Lucknow: दिल्ली से गाजियाबाद व मेरठ से कनेक्टिविटी को विस्तार देने के मकसद से केंद्र सरकार की रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के विकास को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार भी गंभीर है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कुल 1306 करोड़ रुपए की लागत से दिल्ली, गाजियाबाद व मेरठ के बीच विकसित हो रही परियोजना में योगी सरकार ने राज्यांश की अवशेष 956 करोड़ की धनराशि में से 350 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटन को स्वीकृति दी है, जिससे अब परियोजना के लंबित कार्यों को गति मिल सकेगी।
दिल्ली-मेरठ रिजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) एक सेमी हाई स्पीड रेल कोरिडोर है, जिसका अभी निर्माण चल रहा है। यह 82.15 किमी लंबे कॉरिडोर दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा। विशेषतौर पर गाजियाबाद व मेरठ में परियोजना के अंतर्गत प्राविधानित कार्यों को अब नए सिरे से रफ्तार मिलेगी। योगी सरकार द्वारा इस संबंध में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के प्रबंध निदेशक को धन आवंटन संबंधी आदेश जारी कर दिया गया है। रैपिड एक्स प्रोजेक्ट के तहत प्लान किया गया यह तीन रैपिड रेल कॉरिडोर्स में से एक है।

पहला चरण अंतिम चरण में
रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर परियोजना के तहत फेज वन स्टेज का कार्य अंतिम चरणों में है। 82.15 किमी लंबी इस परियोजना की 8 मार्च 2019 को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा की गई थी और माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक इसकी शुरूआत हो सकती है। परियोजना को मूर्त रूप देने का दायित्व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को सौंपा गया है। उनके दिशा-निर्देशन में परियोजना के अंतर्गत विकसित की जा रही अवसंरचनाओं की उच्च गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाएगा।
योगी सरकार भी करेगी मॉनिटरिंग
भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में एनसीआरटीसी द्वारा पू्र्ण की जा रही इस परियोजना के कार्यो की प्रगति की उत्तर प्रदेश सरकार समय-समय पर समीक्षा करती रहेगी। योगी सरकार द्वारा राज्यांश को जिन नियम व शर्तों के आधीन जारी किया गया है, उसमें इस बात को भी उल्लेखित है कि राज्यांश की स्वीकृत धनराशि को एकमुश्त न आहरित कर कार्य की आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लाया जाएगा। मौजूदा राज्यांश को जिन कार्यों को पूर्ण करने के लिए आवंटित किया गया है, उसकी लिमिट 31 मार्च 2024 रखी गई है और कार्यों के पूर्ण होने पर 30 अप्रैल 2024 तक एनसीआरटीसी उपयोगिता प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश सरकार को उपलब्ध कराएगी।
