यूपी: बाढ़ की स्थिति से निपटने को एक्शन मोड में रहेगा जिला प्रशासन
जन-धन की सुरक्षा शीर्ष प्राथमिकता पर होना चाहिए: मुख्यमंत्री

बाढ़ की दृष्टि से 24 जिले अति संवेदनशील एवं 16 संवेदनशील
LP Live, Lucknow: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रबन्धन और जन-जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत की जा रही तैयारियों की समीक्षा की और व्यापक जनहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इनमें बाढ़ व अतिवृष्टि की स्थिति पर निरंतर नजर रखने और नदियों के जलस्तर की मॉनीटरिंग करने के निर्देश भी शामिल हैं। प्रदेश के अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबन्धों का जिलाधिकारी स्वयं निरीक्षण करेंगे।
मुख्यमंत्री ने लखनऊ में बुधवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक बैठक में बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील व संवेदनशील जनपदों के जिलाधिकारियों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सहभागिता की तथा अपनी तैयारियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। उन्होंने कहा कि जिलों में बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है। इसी प्रकार सभी जिलों को इस वर्ष भी बेहतर समन्वय, क्विक एक्शन और बेहतर प्रबन्धन से बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कराये जाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण किया जाए। सभी 780 बाढ़ सुरक्षा समितियों को एक्टिव मोड में रहने और अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबन्धों का जिलाधिकारी स्वयं निरीक्षण करेंगे। वहीं राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कण्ट्रोल रूम 24 घंटे एक्टिव मोड में रहने के निर्देश दिये। बाढ़ के साथ-साथ जलभराव के लिए भी ठोस प्रयास करना होगा। जिलाधिकारीगण स्वयं रुचि लेकर जलभराव से बचाव के लिए व्यवस्था की देख-रेख करें। प्रत्येक दशा में आगामी 30 जून तक नालों आदि की सफाई का कार्य पूर्ण करा लिया जाए।

जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासन करेगा समीक्षा
उन्होंने कहा कि अतिसंवेदनशील और संवेदनशील प्रकृति वाले जिलों में जिलाधिकारीगण, क्षेत्रीय सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगरीय निकाय के चेयरमैन/अध्यक्ष की उपस्थिति में बाढ़ पूर्व हो रही तैयारियों की समीक्षा करें। जिलाधिकारीगण संवेदनशील स्थलों का भौतिक निरीक्षण जनप्रतिनिधियों के साथ जरूर करें। यह कार्य माह जून के पहले सप्ताह में कर लिया जाए। बाढ़ के दौरान जिन गांवों में जलभराव की स्थिति बनेगी, वहां आवश्यकतानुसार पशुओं को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराया जाए। इसके लिए जनपदों में स्थिति को देखते हुए स्थान का चयन कर लिया जाए। इन स्थलों पर पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं का टीकाकरण समय से कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।
प्रदेश के 24 जिले अति संवेदनशील
प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील एवं 16 जनपद संवेदनशील श्रेणी में हैं। अति संवेदनशील श्रेणी में जनपद महराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, संतकबीरनगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि संवेदनशील श्रेणी में जनपद सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्धनगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज सम्मिलित हैं।
नदियों के तटबंधों की निगरानी के निर्देश
प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3869 किमी लम्बाई वाले 523 तटबन्ध निर्मित हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबन्धों की सतत निगरानी की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन-धन की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए वर्ष 2017-18 से अब तक 982 बाढ़ परियोजनाएं पूर्ण की गईं। इसमें 282 परियोजनाएं अकेले वर्ष 2022-23 में पूरी की गई हैं। वर्तमान में 265 नई परियोजनाओं, 07 ड्रेजिंग सम्बन्धी परियोजनाओं और पूर्व से संचालित 140 परियोजनाओं सहित कुल 412 परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इन परियोजनाओं का 50 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है। अवशेष कार्य नियत समय के भीतर पूरा करा लिया जाए।
