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मेरठ में सपा व बसपा की भाजपा को चुनौती!

छोटे पर्दे के राम ‘अरुण गोविल’ भाजपा से हैं प्रत्याशी

भाजपा व सपा की चुनावी जंग में बसपा ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला 
LP Live, New Delhi: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण मेंं 26 अप्रैल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मेरठ लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। हालांकि चुनाव पलड़ा भाजपा का ही भारी है, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि भाजपा, सपा व बसपा यानी तीनों प्रमुख दलों ने ही इस बार नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा, जिनमें सपा व बसपा प्रत्याशी मेरठ के लिए बाहरी प्रत्याशी हैँ। भाजपा ने इस सीट पर टीवी सीरियल रामायण के ‘श्रीराम’ अरुण गोविल को हिंदुत्व की लहर में प्रत्याशी बनाया है। यहां भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों सपा और बसपा ने सामाजिक और जातिगत समीकरणों को साधने के मकसद से गैर मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। इसलिए इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है।

आयोध्या में श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा के माहौल में भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ लोकसभा सीट पर टीवी सीरियल रामायण के ‘श्रीराम’ अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भले ही सामाजिक और जातिगत समीकरण की सियासत होती रही हो, लेकिन भाजपा ने जिस चेहरे को चुनाव मैदान  में उतारा है उससे हिंदुत्व की लहर प्रशस्त हो रही है। भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल का चेहरा किसी परिचय से मोहताज नहीं है और वैसे भी वे मेरठ के ही मूल निवासी हैं। जबकि इस सीट पर सपा और बसपा के प्रत्याशी भी मेरठ की राजनीति से अनजान है, जिसके कारण सपा व बसपा प्रत्याशियों को मेरठ में अपनी अपनी पार्टी संगठन और मतदाताओं में अपनी पहचान बनानी पड़ रही है। बसपा प्रत्याशी देवव्रत त्यागी बुलंदशहर के बुगरासी क्षेत्र के किसौला गांव के मूल निवासी होने के साथ दवा कारोबारी हैं। तो वहीं सपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा हापुड के पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी और मेरठ की पूर्व मेयर है, जो मूल रुप से बुलंदशर की निवासी है। सियासी गलियारों में चर्चा तो यही है कि मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच होगा, लेकिन सामाजिक व जातिगत राजनीति की परंपरा के मद्देनजर बसपा प्रत्याशी इस चक्रव्यूह में फंसते नजर आ रहे हैं।

तीन बार से भाजपा का कब्जा
पिछले तीन बार से मेरठ लोकसभा सीट पर भाजपा का प्रत्याशी जीतकर आता रहा है। उससे पहले भी 1994 से 1998 तक तीन बार इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा। 1977 और 1989 का चुनाव भी भाजपा समर्थित जनता पार्टी ने इस सीट पर कब्जा जमाया है। मेरठ लोकसभा सीट पर कांग्रेस भी छह बार विजयी रही है। खासबात है कि कांग्रेस इस सीट पर पिछले ढाई दशक से जीत के लिए तरस रही है। दो हजार के दशक में साल 2004 में इस सीट पर बसपा ने कब्जा जमाया, लेकिन समाजवादी पार्टी ने अभी तक यहां कभी जीत हासिल नहीं की है।

इस बार नहीं कोई निर्दलीय प्रत्याशी
मेरठ लोकसभा सीट पर शायद पहली बार है कि लोकसभा चुनाव में एक भी निर्दलीय प्रत्याशी सियासी जंग में नहीं है? इस सीट पर आठ प्रत्याशियों में भाजपा के प्रत्याशी के रुप में टीवी सीरियल रामायण के ‘राम’ अरुण गोविल के मुकाबले में समाजवादी पार्टी ने सुनीता वर्मा और बसपा ने देवव्रत कुमार त्यागी को चुनावी मैदान में उतारा है। इनके अलावा जयहिंद नेशनल पार्टी के डा. हिमांशु भटनागर, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के भूपेन्द्र, सबसे अच्छी पार्टी के हाजी अफजाल, मजलूम समाज पार्टी के भूपेन्द्र तथा एसडीपीआई के आबिद हुसैन अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

आठ प्रत्याशियों के सामने मतदाता का चक्रव्यूह
मेरठ लोकसभा सीट पर बने 20,00,530 मतदाताओं के जाल है, जिसमें 10,75,368 पुरुष तथा 9,25,022 महिला और 140 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। वहीं 18-19 आयु वर्ग के 29,299 युवा मतदाता पहली बार मतदान में हिस्सा लेंगे। इस सीट पर 11,207 दिव्यांग और 85 साल से ज्यादा आयु वाले 11,602 बुजुर्ग मतदाता भी पंजीकृत हैं। लोकसभा सीट के दायरे में पांच विधानसभा क्षेत्र भी हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 4,97,301 मतदाता मेरठ दक्षिण और सबसे कम 3,14,618 मतदाता मेरठ शहरी विधानसभा सीट पर हैं। जबकि मेरठ कैंट विधानसभा में 4,39,553,हापुड(सु) में 3,80,186 तथा किठौर विधानसभा क्षेत्र में 3,68,872 मतदाता शामिल हैं। मेरठ लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव में 756 मतदान केंद्रों के 2042 मतदान स्थलों पर वोटिंग कराई जाएगी। इसमें किठौर विधानसभा क्षेत्र में 176, मेरठ कैंट में 144, मेरठ शहर में 129, मेरठ दक्षिण में 166 तथा हापुड विधानसभा क्षेत्र में 141 मतदान केंद्र स्थापित किये गये हैं।

इस सीट पर ये है जातीय स्थिति
मेरठ लोकसभा क्षेत्र में भाजपा राम के भरोसे, लेकिन जातीय समीकरण को साधते हुए चुनाव जीतना चाहती है। वहीं सपा व बसपा तो इसी सियासी समीकरण को साधने के इरादे से चुनावी मैदान में हैं। मेरठ में जातीय समीकरण पर नजर डाली जाए तो सर्वाधिक छह लाख मुस्लिम, तीन लाख दलित, 2.50 लाख वैश्य, 70 हजार ब्राह्मण, 60-60 हजार जाट, गुर्जर व त्यागी, 50-50 हजार ठाकुर व सैनी, हजार कश्यप, 30 हजार पंजाबी हैं। बाकी अन्य समाज के मतदाता हैं।

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