दक्षिण अफ्रीका के साथ किया गया अंतर-सरकारी समझौता
LP Live, New Delhi: भारत में वन्य जीवों के संवर्धन की दिशा मे पिछले साल नामीबिया से भारत में आठ चीते लाए गये थे। भारत में बढ़ते चीतों के परिवार में अब अगले महीने 12 चीते और शामिल हो जाएंगे, जिन्हें दक्षिण अफ्रीका से लाया जाएगा। इसके लिए शुक्रवार का दक्षिण अफ्रीका और भारत ने एशियाई देश में चीते को फिर से लाने में सहयोग करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने शुक्रवार को इस समझौते की जानकारी देते हुए बताया कि इस करार के अनुसार फरवरी 2023 के दौरान 12 चीतों का एक प्रारंभिक जत्था दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया जाना है। दक्षिण अफ्रीका से आने वाले इन चीतों को साल 2022 के दौरान नामीबिया से भारत आए आठ चीतों के साथ शामिल किया जाएगा। सरकार की भारत में चीतों की आबादी को बढ़ाने की प्राथमिकता है और इसके संरक्षण के महत्वपूर्ण एवं दूरगामी परिणाम होंगे। इस लक्ष्य में भारत में उनकी ऐतिहासिक सीमा के भीतर चीते की भूमिका को फिर से स्थापित करना और स्थानीय समुदायों की आजीविका संबंधी विकल्पों को बेहतर करके उनकी अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ाना शामिल है। इसके लिए भारत का अगले दस साल में हर साल 12 चीतों के आयात कर उन्हें स्थानांतरित करने की योजना है। इसका कारण यह भी है कि पिछली शताब्दी में अधिक शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण इस प्रतिष्ठित प्रजाति के स्थानीय स्तर पर विलुप्त हो रही थी। इसके बाद चीता को एक पूर्व दायरे वाले देश में फिर से लाने की पहल भारत गणराज्य की सरकार से प्राप्त अनुरोध के तहत की जा रही है।
हर पांच साल में होगी समीक्षा
समझौता ज्ञापन के अनुसार दोनों देश बड़े मांसाहारी जीवों के संरक्षण में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, प्रबंधन, नीति और विज्ञान के क्षेत्र में पेशेवरों के प्रशिक्षण के माध्यम से सहयोग और उत्कृष्ट कार्यप्रणालियों का आदान-प्रदान करेंगे, और दोनों देशों के बीच स्थानांतरित चीतों के लिए एक द्विपक्षीय संरक्षकता की व्यवस्था बनायेंगे। इस समझौता ज्ञापन की शर्तों की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने हेतु इसकी हर पांच साल में समीक्षा की जाएगी। भारत के इस बहु-विषयक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम को दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय जैव विविधता संस्थान (एसएएनबीआई), दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय उद्यान (एसएएनपार्क), चीता रेंज विस्तार परियोजना, और दक्षिण अफ्रीका में लुप्तप्राय वन्यजीव ट्रस्ट (ईडब्ल्यूटी) के सहयोग से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के साथ मिलकर वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग (डीएफएफई) द्वारा समन्वित किया जा रहा है।भारत में चीता को फिर से लाने से संबंधित यह समझौता ज्ञापन (एमओयू) भारत में चीता की व्यवहार्य और सुरक्षित आबादी स्थापित करने हेतु दोनों पक्षों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।
वन्यजीवों के संरक्षण पर बल
भारत में वन्यजीवों में चीता के संरक्षण को बढ़ावा देने संबंधी विशेषज्ञता को साझा व आदान-प्रदान हो और उसके लिए आवश्यक क्षमता का निर्माण करने पर बल दिया गया है, जिसमें मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान, वन्यजीवों का कब्जा एवं स्थानांतरण और दोनों देशों में संरक्षण के कार्यों में सामुदायिक भागीदारी शामिल है। समझौता ज्ञापन के अनुसार दोनों देश बड़े मांसाहारी जीवों के संरक्षण में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, प्रबंधन, नीति और विज्ञान के क्षेत्र में पेशेवरों के प्रशिक्षण के माध्यम से सहयोग और उत्कृष्ट कार्यप्रणालियों का आदान-प्रदान करेंगे, और दोनों देशों के बीच स्थानांतरित चीतों के लिए एक द्विपक्षीय संरक्षकता की व्यवस्था बनायेंगे। इस समझौता ज्ञापन की शर्तों की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने हेतु इसकी हर पांच साल में समीक्षा की जाएगी।