

भारत ने की शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन की मेजबानी
LP Live, New Delhi: भारत की मेजबानी में वर्चुअली शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी वर्चुअली रुप से शामिल हुए। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को पाक पीएम की मौजूदगी में खरी खोटी सुनाई। मोदी ने कहा आतंकवाद पर निर्णायक कार्रवाई आवश्यकता बताते हुए कहा कि आतंकियों को पनाह देने वाले देशों की आलोचना होनी चाहिए।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में मंगलवार को पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद का पनाह देने वालों की आलोचना करनी चाहिए। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद से लेकर शांति और विकास के मुद्दे पर बातचीत की और कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ बनाए हैं, जिसमें स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक दवा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत शामिल है। उन्होंने कहा कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है।

एशियाई क्षेत्र की शांति व विकास का पक्षधर भारत
पीएम मोदी ने कहा कि एशियाई क्षेत्र की शांति, समृद्धि और विकास के लिए भारत एक विस्तारित परिवार मानकर प्रयासरत है और पिछले दो दशकों में एससीओ पूरे यूरेशिया क्षेत्र में शान्ति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र के साथ, भारत के हजारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक और संबंध, हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं। लेकिन इसके बीच आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के बड़ा खतरा बना हुआ है, जिसकी चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई जरुरी है। आतंकवाद के खिलाफ हम सभी देशों को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।
अफगानिस्तान से बेहतर संबन्ध
एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान भी हमारा पडोसी देश है, लेकिन भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध और भी मजबूत होते जा रहे हैं। भारत ने पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अपना योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं।
