स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण मिशन में तेलंगाना शतप्रतिशत लक्ष्य से शीर्ष पर
LP Live, New Delhi: भारत ने स्वच्छता की एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है यानी स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण दूसरे चरण के तहत 50 प्रतिशत गांव अब खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं और करीब तीन लाख गांवों ने खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित किया है। इस स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) के दूसरे चरण में खुले शौच से मुक्त गांवों के लिए 2024-25 तक का लक्ष्य है। इस मिशन में तेलंगाना एक ऐसा इकलौता राज्य है, जिसने मिशन का शतप्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है।
जलशक्ति मंत्रालय के अनुसार देश के कुल गांवों में से आधे गांवों (50 प्रतिशत) ने मिशन के दूसरे चरण के अंतर्गत ने खुले में शौच मुक्त (स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण) का दर्जा हासिल कर लिया है। खुले में शौच मुक्त गांव के अंतर्गत वे ग्रामीण क्षेत्र आते हैं जहां ठोस या तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने के साथ-साथ अपनी खुले में शौच मुक्त स्थिति को बनाए रखा है। अब तक 2.96 लाख से अधिक गांवों ने स्वीयं को खुले में शौच मुक्त घोषित किया है। यह 2024-25 तक एसबीएम-जी चरण-II लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) में तेलंगाना के बाद कर्नाटक (99.5 प्रतिशत), तमिलनाडु (97.8 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (95.2 प्रतिशत) और गोवा (95.3 प्रतिशत) और छोटे राज्यों में सिक्किम (69.2 प्रतिशत) शीर्ष राज्यों में शामिल हैं। जबकि केंद्रशासित प्रदेशों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा नगर हवेली और दमन दीव और लक्षद्वीप में शत-प्रतिशत खुले में शौच मुक्त आदर्श गांव का दर्जा हासिल कर चुके हैं।
शौच मुक्त आकांक्षी गांव
देश में खुले में शौच मुक्त 2,96,928 गांवों में से 2,08,613 गांव ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था के साथ खुले में शौच मुक्त आकांक्षी गांव हैं। 32,030 गांव ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था साथ खुले में शौच मुक्त व्यरवस्थान की ओर बढते हुए गांव हैं और 56,285 गांव खुले में शौच मुक्त आदर्श गांव हैं। देश में अभी तक 1,65,048 गांवों में ठोस कचरा प्रबंधन और 2,39,063 गांवों में तरल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था है। जबकि 4,57,060 गांवों में न्यूनतम जमा पानी और 4,67,384 गांवों में न्यूनतम कचरा है।
अब 1.36 लाख करोड़ की राशि आवंटित
केंद्र सरकार ने वर्ष 2014-15 और 2021-22 के बीच स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को कुल 83,938 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। जबकि वर्ष 2023-24 के लिए 52,137 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) निधियों के अतिरिक्त स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग की निधियों ने स्पष्ट रूप से अगल आवंटन किया है। इन निधियों का उपयोग स्वच्छता संपत्तियों के निर्माण, व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने के लिए किया गया है।
206 जिलों में बायो-गैस संयंत्र स्थापित
देश में अब तक 206 जिलों में बायो-गैस/सीबीजी संयंत्र स्थापित किये गये हैं। यानी घरेलू स्तर पर जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट प्रबंधन के लिए लोगों को सामुदायिक स्तर पर कंपोस्टिंग के लिए प्रोत्सा हित किया जा रहा है। इसके लिए अब तक 3,47,094 सामुदायिक खाद गड्ढों का निर्माण किया जा चुका है। इसी प्रकार धूसर पानी के प्रबंधन के लिए 22 लाख सोक पिट्स (समुदाय और घरेलू) का निर्माण किया गया। देश में गंदे पानी के प्रबंधन के लिए गांवों में रोजमर्रा के घरेलू कामों- सफाई, खाना पकाने, नहाने आदि से उत्पन्न अपशिष्ट जल है, जिसमें जल निकासी व्यवस्था नहीं है। इन स्था नों पर एक विशेष अभियान सुजलाम चलाया गया और धूसर पानी के प्रबंधन के लिए सोक पिट्स बनाए गए।