

LP Live, Chandigarh: हरियाणा पुलिस ने ऑपरेशन मुस्कान के तहत अप्रैल माह के दौरान एक महीने के अभियान में 880 लापता नाबालिग बच्चों को पुनः उनके परिवारों से मिलवा कर उनके चेहरे पर ‘मुस्कान‘ लाने का काम किया है। वहीं पुलिस 819 अन्य गुमशुदा लोगों को भी ढूंढकर परिजनों से मिलवाकर खुशियां दी।
हरियाणा पुलिस की इस मुहिम में जिला पुलिस सहित स्टेट क्राइम ब्रांच की 22 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने अहम योगदान रहा है, जिन्होंने पुलिस महानिदेशक हरियाणा प्रशांत कुमार अग्रवाल के निर्देश पर अप्रैल माह में इस अभियान के तहत एक महीने में 880 बच्चे और 819 वयस्कों को सुरक्षित उनके परिवार तक पहुंचाया है। इनमें गुमशुदा बच्चों सहित बाल मजदूरी एवं भीख मांगने के कार्य में संलिप्त बच्चों को भी पुलिस तलाश किया है। एक माह तक प्रदेशभर में चलाए गये इस अभियान में पुलिस उपाधीक्षकों के नेतृत्व में जिला स्तर पर गठित टीमों ने इस नेक काम को अंजाम दिया है, जिसमें बड़ी सफलता मिली है।

बच्चों को परिवार से मिलाने में गुरुग्राम अव्वल
पुलिस प्रवक्ता के अनुसार गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलवाने में गुरुग्राम जिला सबसे आगे रहा। इस ऑपरेशन मुस्कान में गुरुग्राम ने 173 बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया। वहीं फरीदाबाद ने 143 बच्चे, कुरुक्षेत्र ने 60, भिवानी ने 45, पानीपत ने 43 और रेवाड़ी ने 38 बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया। इसके अतिरिक्त रेलवे पुलिस का प्रदर्शन भी उल्लेखनीय रहा और उन्होंने 53 बच्चों को उनके परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की। जानकारी देते हुए बताया कि वयस्कों में फरीदाबाद और पानीपत ने संयुक्त तौर पर पहला स्थान प्राप्त किया। दोनों ही जिलों ने 81-81 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाया। इसके अतिरिक्त करनाल ने 69 व्यस्क, गुरूग्राम ने 62 व्यस्क, रोहतक ने 56, भिवानी ने 44 और रेवाड़ी ने 34 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाया।
722 बाल मजदूर व भीख मांगते 405 बच्चों का पुनर्वास
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि अक्सर देखा जाता है कि छोटे बच्चे परिवार को सहारा देने के लिए या थोड़े से पैसे के लालच में मजदूरी करने लग जाते है। ऑपरेशन मुस्कान में बाल श्रम के मुद्दे पर संवेदनशील पुलिस ने 722 बच्चों को बाल मजदूरी से रेस्क्यू किया, बल्कि ऐसे बच्चों का पुनर्वास भी भी कराया। जिला पुलिस और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स ने संयुक्त तौर पर 722 बाल मजदूरों को रेस्क्यू किया। इसके अलावा 405 को भीख मांगने जैसे कार्य से मुक्ति दिलाई गई। बाल मजदूरी से मुक्ति दिलवाने में एएचटीयू पलवल टीम सबसे आगे रही। पलवल टीम ने 45 बच्चे, पानीपत ने 35 और करनाल ने 30 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्ति दिलवाई।
