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स्मार्ट टेक्नोलॉजी से बेहतर बन सकती है कानून-व्यवस्था: मोदी

राज्यों के गृह मंत्रियों के 'चिंतन शिविर' में बोले प्रधानमंत्री

https://youtu.be/0hvtIub5n-E‘एक राष्ट्र, एक पुलिस की वर्दी’ पर विचार पर दिया जोर

LP Live New Delhi। फरीदाबाद के सूरजकुंड में राज्यों के गृह मंत्रियों के ‘चिंतन शिविर’ चिंतन शिविर सहकारी संघवाद का एक मुख्य उदाहरण बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि संविधान में भले कानून और व्यवस्था राज्यों का दायित्व है, लेकिन यह देश की एकता-अखंडता के साथ जुड़े संविधान में देशवासियों के प्रति हमारा दायित्व है कि ‘सुशासन के लिए ‘पंच प्रण’ प्रेरक शक्ति होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को चिंतन शिविर को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए राज्यों की कानून एवं व्यवस्था प्रणाली और विकास को आपस में जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था के पूरे तंत्र का विश्वसनीय होना, जनता के बीच उनका परसेप्शन क्या है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अपराध अब स्थानीयकृत नहीं है और अंतर्राज्यीय, अंतर्राष्ट्रीय अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए राज्य की एजेंसियों के बीच और केंद्र तथा राज्य की एजेंसियों के बीच आपसी सहयोग महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम हो या फिर ड्रोन टेक्नोलॉजी का हथियारों और ड्रग्स तस्करी में उपयोग, इनके लिए हमें नई टेक्नोलॉजी पर काम करते रहना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्मार्ट टेक्नोलॉजी की मदद से कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 5जी अपने लाभों के साथ-साथ उच्च स्तर की सर्तकता संबंधी जरूरतों को भी पूरा करता है। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के पुलिस प्रौद्योगिकी मिशन का जिक्र करते हुए एक साझे मंच की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राज्य की एजेंसियों को फोरेंसिक विज्ञान में क्षमताओं को विकसित करने और गांधीनगर के राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय का पूरा लाभ उठाने की अपील भी की। प्रधानमंत्री ने सभा से पूरे देश के राज्यों की पुलिस के लिए एक ही वर्दी पर यानी ‘एक राष्ट्र, एक पुलिस की वर्दी’, पर विचार करने पर बल दिया। यह न केवल अपनी व्यापकता के कारण गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स को सुनिश्चित करेगा, बल्कि कानून प्रवर्तन को एक साझी पहचान देगी, क्योंकि नागरिक देश में कहीं भी पुलिस कर्मियों को पहचान पाएंगे। राज्यों के पास उनकी संख्या या प्रतीक चिन्ह हो सकते हैं। इसी तरह, उन्होंने पर्यटन से संबंधित पुलिसिंग के लिए विशेष क्षमताओं को विकसित करने के बारे में सोचने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पर्यटक किसी भी स्थान की प्रतिष्ठा के सबसे बड़े और सबसे तेज दूत होते हैं।
आतंकवाद के खिलाफ यूएपीए जैसे कानून कारगर साबित
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों में भ्रष्टाचार, आतंकवाद और हवाला से सख्ती से निपटने की स्पष्ट इच्छाशक्ति है। उन्होंने कहा, “यूएपीए जैसे कानूनों ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में व्यवस्था को मजबूती दी है। आतंकवाद के जमीनी नेटवर्क को खत्म करने की आवश्यकता को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हर सरकार अपनी क्षमता और सूझ-बूझ के साथ अपना काम करने की कोशिश कर रही है। मोदी ने कहा कि यह समय की मांग है कि एक साथ आएं और स्थिति को संभालें। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद का हर रूप, चाहे वह बंदूक वाला हो या कलम वाला, देश के युवाओं को गुमराह करने से रोकने के लिए उन्हें जड़ से उखाड़ना होगा।
नक्सलवाद में आई कमी
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले आठ वर्षों में देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर हो या उत्तर-पूर्व, आज हम स्थायी शांति की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। अब हमें इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत इन सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास पर ध्यान देना होगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि आज केंद्र सरकार रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देने के लिए सीमा और तटीय क्षेत्रों में विकास के मिशन मोड पर काम कर रही है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन क्षेत्रों में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने में यह एक लंबा रास्ता तय कर सकता है।
कई एजेंडों पर हुई चर्चा
हरियाणा के सूरजकुंड में 27 और 28 अक्टूबर को आयोजित इस दो दिवसीय चिंतन शिविर में राज्यों के मुख्यमंत्री और गृह मंत्रियों के अलावा गृह सचिव और राज्यों के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) के महानिदेशक भी भाग ले रहे हैं। शिविर में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, साइबर अपराध प्रबंधन, आपराधिक न्याय प्रणाली में आईटी के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन, तटीय सुरक्षा, महिला सुरक्षा और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

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