रेडियो की प्रासंगिकता आज भी बरकरार:रजनीश
विश्व पुस्तक मेले में पुस्तकों के विमोचन का सिलसिला जारी

LP Live, New Delhi: आज के आधुनिक तकनीकी युग में भी सामुदायिक रेडियो की प्रासंगिकता बरकरार है। यह बात यहां प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुसत्क मेले में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल ने कही।
उन्होंने यहां सौरभ कुमार मिश्र की लिखित पुस्तक ‘सामुदायिक रेडियो’ और सूबेदार लिखित पुस्तक ‘दीर्घतमा’ के विमोचन समारोह में कहा कि देश में संचार माध्यमों की बहुलता के बावजूद सामुदायिक रेडियो की प्रासंगिकता बरकरार है। द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर भुज के भूकंप तक और आज भी खबरों को अपडेट करने में आकाशवाणी की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि भारत में सिर्फ शहरों, महानगरों में ही नहीं, बल्कि सुदूर गांवों और वनों के लोगों जोड़ने का एकमात्र साधन सामुदायिक रेडियो है। सामुदायिक रेडियो की प्रासंगिकता को लेकर भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सचिव डॉ बाल मुकुंद पाण्डेय, लेखक राकेश मंजुल के अलावा डॉ. राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय, फैजाबाद के पूर्व कुलपति डॉ. मनोज दीक्षित, प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक प्रशान्त जैन ने भी विचार रखे।
देश का हर नागरिक प्रजातांत्रिक: सोलंकी
पुस्तक मेले में किताब वाले प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति’ के हिंदी और अंग्रेजी संस्करण तथा ‘दीक्षित डिक्शनरी ऑफ टूरिज्म एंड एलाइड इंडस्ट्री टर्मिनोलॉजी’ का विमोचन करते हुए पूर्व राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि भारत ने पूरी दुनिया को चरित्र और संस्कृति की शिक्षा दी है। यह दुनिया में अकेला ऐसा देश है जिसका हर नागरिक प्रजातांत्रिक है। समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कनिटकर ने कहा कि हमारा लोकतंत्र सबसे पुराना है। देश में अब जाकर लोक के लिए जीनेवाला शासन आया है। यह स्वराज से स्वतंत्रता की जाने का समय है। इस मौके पर प्रख्यात चिन्तक डॉ अरुण प्रकाश, शिक्षा निदेशक उमेश प्रताप, प्रो मनोज दीक्षित, इतिहासकार डॉ अमित राय जैन एवं प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक प्रशान्त जैन समेत कई गण्यमान्य लोग मौजूद थे।
