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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया इंडिया वाटर वीक का उद्घाटन

नमामि गंगे: यूपी में पुनर्जीवित हुई 60 से ज्यादा नदियां

अब गंगा में नजर आने लगी डाल्फिन: योगी
LP Live, ग्रेटर नोएडा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जल संरक्षण और प्रबंधन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आने वाले समय में बढ़ती हुई जनसंख्या को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने की चुनौती से निपटना होगा। उन्होंने भारत सरकार की जल संकट से निपटने के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की सराहना की।
यह बात राष्ट्रपति ने ग्रेटर नोएड में मंगलवार को आयोजित पांच दिवसीय इंडिया वाटर वीक-2022 का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन समारोह के दौरान कही। उन्होंने बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण नदियों और जलाशयों की क्षीण होती हालत, गांवों के सूखते पोखर और विलुप्त हो चुकी कई स्थानीय नदियों पर चिंता जताई और कहा कि आज जल संकट की यह भी वजह है कि कृषि और उद्योगों में जल का दोहन जरूरत से ज्यादा हो रहा है, जिसके कारण धरती पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ने के साथ मौसम का मिजाज भी बदला है। ऐसे में जल प्रबंधन को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विचार विमर्श एक सराहनीय कदम है। उन्हें इस बात की खुशी है कि वाटर वीक के दौरान भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक मुद्दों में जल संरक्षण, पर्यावरण, कृषि और विकास से जुड़े अनेक पहलुओं पर भी चर्चा होगी। जल का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। मुर्मू ने कहा कि आने वाले वर्षों में बढ़ती हुई जनसंख्या को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराना बहुत बड़ी चुनौती होगी। भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन के तहत हर ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाने की मुहिम में अब तक देश में करीब 10.43 करोड़ घरों में नल से जल की आपूर्ति का सुचारु किया है। उन्होंने सरकार की जल से जुड़ी अन्य योजनाओं का भी जिक्र किया। इस मौके पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल आदि मौजूद रहे। गौरतलब है कि जल प्रबंधन को लेकर आयोजित इस वाटर वीक में डेनमार्क, फिनलैंड, सिंगापुर जैसे देश भी पार्टनर हैं।
क्रिटिकल प्वाइंट बना सेल्फी प्वाइंट : योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के एक बड़े भूभाग पर हिमालय से आने वाली नदियां हैं, जो अपने साथ पर्याप्त सिल्ट लेकर आती हैं, जिससे कई नदियां लुप्त होने की कगार पर आ गई थी। हमें उनके पुर्नोद्धार कर उन्हे नया जीवन दिया। अब तक प्रदेश में 60 से ज्यादा नदियों को पुनर्जीवित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहले गंगा का सबसे क्रिटिकल प्वाइंट कानुपर हुआ करता था, लेकिन आज नमामि गंगे प्रोजेक्ट से कानपुर का सीसामऊ सीवर प्वाइंट सेल्फी प्वाइंट बन गया है। इतना ही नहीं नमामि गंगे परियोजना के आज गंगा में डॉल्फिन भी दिखाई पड़ती हैं। गंगा की अविरलता और निर्मलता दोबारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट से प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि दिसंबर तक बुंदेलखंड के हर घर में नल से जल पहुंच जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जल की पर्याप्त उपलब्धता के साथ पर्याप्त जल संसाधन भी हैं। पहले प्रदेश के विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र को जल संचयन के मामले में डार्क क्षेत्र माना जाता था।

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