LP Live, Dehradun: भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति उसके मानव संसाधन गुणवत्ता पर निर्भर होती है और मानव संसाधन की गुणवत्ता शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।
देहरादून स्थित दून विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को बोलते हुए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने दून विश्वविद्यालय से ‘आज का युवा कल का भविष्य है’ के आदर्श वाक्य पर चलते हुए गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में काम करने का अनुरोध किया। राष्ट्रपति ने इसका उल्लेख किया कि दून विश्वविद्यालय राज्य का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जहां छात्रों को पांच विदेशी भाषाएं- चाइनीज, स्पेनिश, जर्मन, जापानी और फ्रेंच पढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा छात्र यहां तीन स्थानीय भाषाओं- गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी का भी अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं की पढ़ाई को प्रोत्साहित करना, हमारी लोक संस्कृति की संरक्षण का सराहनीय प्रयास है। हमारी लोक भाषाएं हमारी संस्कृति की अमूर्त धरोहर है। विश्वविद्यालय को इस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए।
शोध और अध्ययन केंद्र स्थापित
राष्ट्रपति ने कहा कि एनटीपीसी के सहयोग से दून विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी चेयर की स्थापना की गई है, जो राज्य के विकास के लिए नीति-निर्माण और क्षमता विकास के लिए समर्पित है। इसके अलावा राज्य के भौगोलिक, इकलोजिकल, आर्थिक और सामाजिक विकास से जुड़े विभिन्न विषयों में शोध व अध्ययन के लिए डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध और अध्ययन केंद्र भी स्थापित किया गया है। उन्होंने इन पहलों के लिए विश्वविद्यालय की सराहना कीं।
छात्राओं को डिग्रियां प्रदान
राष्ट्रपति ने इस बात को रेखांकित किया कि आज के दीक्षांत समारोह में लड़कियों ने 36 में से 23 स्वर्ण पदक और 16 में से 8 पीएचडी डिग्री प्राप्त की हैं। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि दून विश्वविद्यालय में महिलाओं की शिक्षा के पर्याप्त अवसर हैं और वह लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि उनका मानना है कि जब लड़कियां विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व गणित (एसटीईएम) जैसे विषयों में अधिक उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगी, तो महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया और अधिक बल मिलेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि छात्र आने वाले समय में इस राष्ट्रीय अपेक्षा को पूरी निष्ठा के साथ पूरा करेंगे
विदाई समारोह में शामिल
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के 97वें फाउंडेशन पाठ्यक्रम के विदाई समारोह में सम्मिलित हुईं। यहां प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रपति ने अप्रैल 1947 में सरदार पटेल भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलने का भी जिक्र किया। राष्ट्रपति ने भरोसा जताया कि फाउंडेशन पाठ्यक्रम के प्रशिक्षु अधिकारियों को सामूहिक भावना के साथ देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठानी चाहिये। उन्होंने कहा कि उनमें से कई अगले 10-15 वर्षों के लिये देश के एक बड़े भू-भाग में प्रशासनिक कामकाज करेंगे तथा जनमानस से उनका सीधा संपर्क रहेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि वे अपने सपने के भारत को एक ठोस आकार दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि ‘गोपनीयता’, ‘क्षमता’ और ‘अनुशासित आचरण’ सिविल अधिकारियों के आभूषण हैं। यही गुण प्रशिक्षु अधिकारियों को उनके पूरे सेवाकाल में आत्मबल देंगे।
कई परियोजनाओं उद्घाटन
राष्ट्रपति ने इससे एक दिन पहले गुरुवार को उत्तराखंड के दौरे पर एक समारोह में वर्चुअल माध्यम से स्वास्थ्य-सुविधा, बिजली उत्पादन और आपूर्ति, तकनीकी शिक्षा तथा यातायात सम्बंधी अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन/शिलान्यास किया। उन्होंने इन पहलों के लिये केंद्र और राज्य सरकार की सराहना की और भरोसा जताया कि इन परियोजनाओं से राज्य में नागरिक सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने उत्तराखंड वासियों की प्रशंसा करते हुये कहा कि राज्य के परिश्रमी और प्रतिभाशाली लोगों ने उत्तराखंड की विकास-यात्रा में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।