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प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण के लिए जनभागीदारी पर दिया बल

भोपाल में 'जल विजन 2047' को लेकर राज्यमंत्रियों का सम्मेलन शुरू

अमृत महोत्सव को लेकर हर जिले में बन रहे हैं 75 अमृत सरोवर
LP Live, Bhopal: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जल संरक्षण के लिए चलाए जा रहे अभियानों में जनता, सामाजिक संगठनों और सिविल सोसाइटी की मदद लेकर जनभागीदारी बढ़ाने पर बल दिया और कहा कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की तर्ज पर जल संरक्षण के लिए भी जनता में यही सोच जल संरक्षण के लिए भी जगानी होगी। पीएम ने कहा कि मनरेगा के तहत भी पानी पर ज्यादा से ज्यादा काम जैसे सामूहिक प्रयासो से ‘जल विजन 2047’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।

पीएम मोदी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में ‘जल विजन 2047’ विषय पर राज्यों के जल शक्ति मंत्रियों के शुरू हुए दो दिवसीय प्रथम अखिल भारतीय राज्य मंत्री वार्षिक सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए जल संरक्षण के लिए मूल मंत्र दिये। उन्होंने कहा कि ‘ अमृत काल की अगले 25 वर्षों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम साबित होगा। जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है, तो उसे कार्य की गंभीरता भी पता चलता है, जिस प्रकार जब लोग स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े तो जनता में भी एक चेतना जागृत हुई। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में आजादी के 75वें साल में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के तहत देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं, जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बनाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन हर घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए राज्य का एक प्रमुख विकास पैरामीटर है। वहीं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत शुरू हुए ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ अभियान अभियान के तहत देश में अब तक 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया गया है। इसके लिए ग्राम पंचायतों को अगले 5 वर्षों के लिए एक कार्य योजना तैयार करनी चाहिए, जिसमें जल आपूर्ति से लेकर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन तक के रोडमैप पर विचार किया जाए। उनका मानना है कि हमारी नदियां, हमारी वाटर बॉडीज पूरे वाटर इकोसिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होते हैं और नमामि गंगे मिशन को एक खाका बनाकर अन्य राज्य भी नदियों के संरक्षण के लिए ऐसे ही अभियान चला सकते है। हालांकि आज भारत जल सुरक्षा में अभूतपूर्ण काम कर रहा है और अभूतपूर्ण निवेश भी कर रहा है। जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। सम्मेैलन में मुख्यभमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ केंद्रीय जलशक्तिर मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जलशक्तिि राज्यैमंत्री प्रह्लाद पटेल, मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के अलावा अनेक गणमान्यय लोग शामिल हैं।

जियो मैपिंग तकनीक महत्वपूर्ण
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जल संरक्षण के कामों में जियो मैपिंग और जियो सेंसिंग जैसी कई तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। जल संरक्षण के लिए केंद्र ने अटल भू-जल संरक्षण योजना की शुरुआत की है। कई राज्यों ने जल संबन्धी योजनाओं पर बेहतर काम किया है, जिससे लोगों को शुद्ध पेयजल और खेतों की सिंचाई को पानी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से जब लोग जुड़े तब जनता में भी चेतना और जागरूकता आई। सरकार ने संसाधान जुटाए,वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और शौचालय जैसे अनेक कार्य किए। लेकिन अभियान की सफलता तब सुनिश्चित हुई जब जनता ने सोचा कि गंदगी नहीं फैलानी है। जनता में यही सोच जल संरक्षण के लिए भी जगानी होगी।

शहरीकरण की गति चिंतनीय
जल सरंक्षण को लेकर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि आज देश में शहरीकरण तेजी के साथ बढ़ रहा है और जब शहरीकरण की गति बढ़ती है तो ऐसी स्थिति में हमें पानी के विषय में पूरी गंभीरता से सोचना चाहिए। इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे सेक्टर्स हैं, जिसमें पानी की आवश्यकता अधिक होती है। इन दोनों सेक्टर्स को मिल कर जल संरक्षण अभियान चलाना चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने इस बजट में सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है। जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकोनॉमी की बड़ी भूमिका है। जब ट्रीटेड जल को पुन: उपयोग किया जाता है, ताजा जल को संरक्षण किया जाता है तो उससे पूरे इकोसिस्टम को बहुत लाभ होता है।

मध्य प्रदेश में होगी अपनी जल नीति
इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश अपनी जल नीति जल्दी लेकर आने वाला है। वाटर विजन के इस कार्यक्रम में जो मंथन होगा, उसके निष्कर्ष को नीति में शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश में जल संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम चलाया जा रहा है नर्मदा सेवा यात्रा के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश देने के साथ जन जागरूकता का काम किया गया है। खेत तालाब योजना बनाकर प्रदेश का काम किया गया तो किसानों को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि वे जिसमें कम पानी लगे। बांधों की क्षमता बढ़ाने के लिए सिल्ट निकालने की कार्य योजना बनाई गई है! मध्यप्रदेश में 2003 तक सिंचाई की क्षमता साढे सात लाख हेक्टेयर थी। अब 45 लाख हेक्टेयर हो गई है। 65 लाख हेक्टेयर में क्षमता विकसित कर रहे हैं। जहां नहर नहीं बन रही है, वहां पाइप से पानी पहुंचाने पर काम कर रहे हैं। हमने जलाभिषेक अभियान चलाया है। नई संरचना बना रहे हैं। जन-जन को जल संरक्षण के काम से जोड़ रहे हैं प्रधानमंत्री जी ने भी कहा कि जल संरक्षण का काम आमजन को जोड़े बिना संभव नहीं है।

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