
भारत ने उल्लंघन को सुधारने के लिए पाक को दिया मौका, लेकिन बाज नहीं आ रहा पाक
LP Live, New Delhi: भारत को दोनों देशों के बीच साल 1960 में जल बंटवारे को लेकर हुए सिंधु जल समझौते पाकिस्तान लगातार उल्लंघन करता आ रहा है। पाकिस्तान की संधि को लेकर जारी मनमानी और विश्व बैंक द्वारा प्रावधानों के उल्लंघन के कारण से पैदा हुई परिस्थिति में इस संधि को संशोधित करने को लेकर पाकिस्तान को नोटिस जारी करना पड़ा है।
भारत ने अंतर्देशीय जल परिवहन के अनुच्छेद 12(3) के तहत पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने सितंबर 1960 के सिंधु जल समझौते का उलंघान किया है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की ओर से इस समझौते को लेकर जो कार्रवाई की है उससे अंतर्देशीय जल परिवहन यानी आईडब्ल्यूटी के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है, जिससे सिंधु जल समझौते के पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते के आर्टिकल नौ का उल्लंघन किया है। इस उल्लंघन और मनमानी के कारण भारत को नोटिस जारी करना पड़ा है। जबकि भारत ने इस मसले पर बार-बार मध्यस्थता का रास्ता तलाशा, लेकिन पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार करता रहा। सूत्रों के अनुसर पाकिस्तान ने साल 2017 से लेकर साल 2022 के बीच स्थाई सिंधु आयोग की 5 बैठकों में हिस्सा लिया, लेकिन इस मामले पर बात नहीं की। इस वजह से भारत ने पाकिस्तान को नोटिस देकर पाकिस्तान को सुधरने का मौका दिया था। इस उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों भीतर अंतर-सरकारी वार्ता में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करना है। भारत ने इस मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने का भी अनुरोध किया था।
इस तरह गहराया ज्यादा विवाद
दरअसल में सिंधु जल समझौते को लेकर असली विवाद साल 2015 में शुरू हुआ। पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनों पर अपनी आपत्ति जताई थी। इसके लिए उसने एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए अनुरोध किया था। इसके बाद अचानक 2016 में पाकिस्तान ने अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थ्ता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए। पाकिस्तान के इस रवैये से विश्व बैंक ने हाल ही में दोनों प्रक्रियाओं (तटस्थ विशेषज्ञ एवं न्यायाधिकरण से मध्यस्थता) पर कार्रवाई आरंभ कर दी है। ऐसी समानांतर प्रक्रियाएं सिंधु जल संधि के किसी भी प्रावधान में वर्णित नहीं हैं। इसलिए सिंधु जल संधि के प्रावधानों के उल्लंघन से उत्पन्न स्थिति में भारत को संधि में संशोधन के लिए नोटिस जारी करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। पाकिस्तान की यह एकतरफा कार्रवाई संधि के अनुच्छेद 9 में विवाद निस्तारण की वर्णित प्रणाली के विपरीत थी। जबकि भारत ने इसी प्रणाली के वर्णित प्रावधानों के अनुरूप इस मामले को लेकर एक तटस्थ विशेषज्ञ का अनुरोध किया।
ये है सिंधु जल समझौता
भारत और पाकिस्तान ने साल 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के अनुसार सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत के हिस्से में आता है और वहीं सिंधु, झेलम, चेनाब का पानी पाकिस्तान के हिस्से में आता है। इस संधि में विश्व बैंक भी एक सिग्नेटरी के रूप में है। इस संधि के तहत दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में दो बार मिलना होता है।
