पश्चिमी यूपी: नए सियासी समीकरण देगा अखिलेश को तगड़ा झटका
भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ सकता है रालोद
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LP Live, New Delhi: लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्षी गठबंधन I.N.D.I चुनाव से पहले ही बिखरता जा रहा है। विपक्षी गठबंधन में पश्चिती उत्तर प्रदेश में सपा को एक बार फिर जोर का झटका लगना तय है, जिससे अलग होकर रालोद ने भाजपा के साथ मिलकर नया सियासी समीकरण तैयार करना शुरु कर दिया है। चर्चाओं की माने तो भाजपा के साथ रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के साथ चार लोकसभा और एक राज्यसभा सीट के लिए सहमति बनाकर राजग का हिस्सा बन सकते हैं।
पीएम मोदी के खिलाफ एकजुट होकर विपक्षी दलों के I.N.D.I गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले ही एक एक करके दरकता जा रहा है। पहले जदयू ने राजग के साथ सरकार बनाकर विपक्षी गठबंधन को चोट दी। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने पश्चित बंगाल में अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है। इसके बाद सपा ने यूपी में कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। वहीं सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बजाए अब रालोद भी भाजपा के पाले में जा रही है। मसलन भाजपा और रालोद के बीच खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सीटों को लेकर बातचीत हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को लोकसभा की चार और राज्यसभा की एक सीट को लेकर सहमति बनाई जा चुकी है। अब केवल बदलते इस सियासी समीकरण का ऐलान होना बाकी है। दरअसल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोकदल को सात सीटें देकर गठबंधन को आगे बढ़ाने के संकेत तो दिये थे, लेकिन रालोद सपा द्वारा तय की जा रही सीटो पर रालोद की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
अजित की प्रतिमा का अनावरण बनेगा आधार
राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी के इस सियासी प्लेटफार्म का मुख्य आधार छपरौली में लगाई गई चौधरी अजित सिंह की प्रतिमा का अनावरण हो सकता है। जहां छपरौली में उनकी प्रतिमा का अनावरण प्रस्तावित समारोह में प्रधानमंत्री पीएम मोदी कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि राजग में भाजपा के साथ लोकससभा चुनाव लड़ने के लिए जयंत चौधरी और भाजपा के बीच बातचीत हो चुकी है, जिससे रालोद के एनडीए में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। यही नहीं यह भी चर्चा है कि उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार की तैयारी में भी रालोद की भागीदारी हो सकती है।
सपा की रणनीति से संतुष्ट नहीं रालोद
दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा ने रालोद को सात लोकसभा सीटें दी हैं, लेकिन इन में सपा मुजफ्फरनगर, बिजनौर, कैराना और मथुरा की सीट पर लोक दल के चुनाव चिन्ह पर अपना(सपा) प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारना चाहती है। यही चुनावी राजनीति रालोद के नेताओं को पसंद नहीं आ रही। इसी कारण रालोद के एनडीए के साथ चुनाव मैदान में आने की ज्यादा संभावनाएं बनी हुई हैं। सीटों के इस प्रकार बंटवारे सपा व रालोद के बीच विवाद पैदा कर रहे हैं और इससे जयंत चौधरी और रालोद के अन्य नेता भी संतुष्ट नहीं हैं।
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