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नामीबिया से लाए गए चीतों के लिए कूनो पार्क को ही क्यों चुना? जानें इसकी खासियत

नामीबिया से आठ चीतों को लेकर विशेष विमान ग्लावियर पहुंच चुकी है। यहां से उन्हें मध्य प्रदेश कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान ले जाया जाएगा, जो कि 748 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इन चीतों को यहां रखने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इसके आसपास कोई बस्ती नहीं है। यह वन क्षेत्र छत्तीसगढ़ के कोरिया के साल जंगलों के बहुत करीब है। इन्हीं जंगलों में लगभग 70 साल पहले एशियाई मूल के चीते अंतिम बार दिखे थे।

2010 और 2012 के बीच मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में दस जगहों का सर्वेक्षण किया गया था। बाद में यह पाया गया कि कूनो चीतों को रखने के लिए सबसे उपयुक्त जगह है। भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) ने जलवायु और आबादी सहित अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह सर्वे किया और कूनो को सबसे उपयुक्त जगह करार दिया।

चीतों के लिए वैसे तो मनुष्यों के साथ संघर्ष की संभावना कम होती है, वे मनुष्यों का शिकार नहीं करते हैं। वे बड़े पशुओं पर भी हमला नहीं करते हैं। उच्च जनसंख्या घनत्व और खुले घास के मैदान भारत में जानवरों के लिए खतरा पैदा करते हैं। कूनो शायद देश के कुछ वन्यजीव स्थलों में से एक है, जहां सालों पहले पार्क के अंदर से लगभग 24 गांवों और उनके पालतू पशुओं को पूरी तरह से बाहर निकाल दिया गया था।

सरकार की योजना के अनुसार, कूनो को बाघ, शेर, तेंदुआ और चीतों का स संभावित निवास माना गया है। फिलहाल शेरों की आबादी गुजरात में अधिक है। जंगल में तेंदुओं की एक महत्वपूर्ण आबादी है। प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में लगभग नौ तेंदुआ हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय उद्यान में वर्तमान में 21 चीते रह सकते हैं। यदि आवश्यक प्रयास किए जाते हैं और शिकार का आधार बनाए रखा जाता है, तो यह संख्या करीब 36 तक जा सकती है।

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