ट्रेड फेयर: छत्तीसगढ़ पवेलियन में दिखी ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ की झलक
ज्यूरी के सदस्यों ने छत्तीसगढ़ पवेलियन का किया अवलोकन
LP Live, New Delhi: दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में लगाए गए छत्तीसगढ़ पवेलियन में ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ की झलक देश व विदेश के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में इस बार छत्तीसगढ़ पवेलियन में भी सुदृढ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था व आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते छत्तीसगढ़ को दिखाने का प्रयास किया गया है। यहाँ प्रदर्शनी बोर्ड के माध्यम से आगंतुकों को छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाली योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। मेले में गुरुवार को छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के मुख्य महाप्रबन्धक एसके सिन्हा ने ज्यूरी के सदस्यों को छत्तीसगढ़ के पवेलियन का अवलोकन कराया। उन्होने ज्यूरी के सदस्यों को नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी के साथ ही ग्रामीण औद्योगिक पार्क के संबंध में विशेष जानकारी प्रदान की। पवेलियन में मॉडल के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार की केंचुआ खाद उत्पादन के अलावा मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण जैसी गतिविधियों के तहत नई पहल में ग्रामीण औद्योगिक पार्क को प्रस्तुत किया गया है। इस योजना से गौठान से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों और स्थानीय युवाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
योजनाओं को भी दर्शाया गया
मेले में पवेलियन में छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गाँव योजना, नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना को प्रस्तुत किया गया है। इन योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। वहीं छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनी के स्टॉल पर ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को मॉडल द्वारा प्रदर्शित किया गया है। इस योजना के माध्यम से छत्तीसगढ़ के आंतरिक क्षेत्रों में शत-प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है। छत्तीसगढ़ पवेलियन में सी-मार्ट का स्टॉल अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास के तहत गांवों में तैयार उत्पादों को शहरों से जोड़ने की पहल बता रहा है।
कला और संस्कृति भी आकर्षक
पवेलियन में छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति से जुड़े हुए उत्पादों को बखूबी डिस्प्ले किया गया है। छत्तीसगढ़ की जनजाति समुदाय द्वारा हाथ से बनाई गयी शिल्प वस्तु, कलाकृति, चित्रकारी, परिधानों की प्रदर्शनी लगाई गयी है। यहाँ बुनकर राज्य की खास पहचान कोसा सिल्क की साड़ियाँ लेकर पहुंचे हैं। इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध शिल्पकारी बेलमेटल, ढोकरा और गोदना आर्ट को प्रस्तुत किया जा रहा है।