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छत्तीसगढ़: विधायकों को सदन में व्यवधान के बजाए सार्थक चर्चा की सलाह

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधानसभा सदस्यों की पाठशाला में पढ़ाया संसदीय पाठ

राज्य के तीनों अंगों को संवैधानिक सीमाओं के दायरे में कार्य करने की आवश्यकता
लोक सभा अध्यक्ष ने छत्तीसगढ़ विधानमंडल के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया
LP Live, Raipur: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को सलाह दी कि सदन में उन्हें व्यवधन की रणनीति के बजाए बहस और सार्थक चर्चा को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि राज्य के तीनों अंगों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहकर कार्य करने की अति आवश्यकता है, ताकि जनप्रतिनिधि जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतर सके।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में विधान सभा सदस्यों के लिए विधानसभा परिसर में आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह बात कही। बिरला ने विधानमंडलों में गरिमा और शालीनता बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए विधायकों से लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को व्यक्त करने के लिए सदन के मंच का उपयोग करने का आग्रह किया। भारत के समृद्ध संसदीय लोकतंत्र के बारे में उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति और असहमति संसदीय लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन असहमति संसदीय गरिमा और मर्यादा के स्थापित मापदंडों के भीतर व्यक्त की जानी चाहिए। बिरला ने सदन में आसन की गरिमा को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि सदन के दोनों पक्षों के सदस्यों को आसन के निर्णयों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी के सम्मान से लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों का विश्वास मजबूत होगा।

राष्ट्र की प्रगति के लिए रहें समर्पित
विधि निर्माताओं और जन प्रतिनिधियों के रूप में विधायकों की भूमिका के बारे में बात करते हुए बिरला ने कहा कि जन प्रतिनिधियों की सफलता इस बात से मापी जाती है कि कि वे जनता की समस्याओं को कितनी निष्ठा से अभिव्यक्त करते हैं। उन्होंने सदस्यों को लोगों के मुद्दों और सरोकारों को सक्रिय और सशक्त रूप से व्यक्त करने और उनके कल्याण तथा राज्य और राष्ट्र की प्रगति के लिए खुद को समर्पित करने का सुझाव दिया। बिरला ने कहा कि लोगों को यह भरोसा है कि उनके प्रतिनिधि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे और जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे उन उम्मीदों पर खरे उतरें और उन्हें पूरा करने के लिए पूरी निष्ठा से काम करें। इसके साथ ही उन्हें सभी हितधारकों के साथ परामर्श भी करना चाहिए।

संसदीय नियमों का पालन जरुरी
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने संसदीय नियमों के पालन करने पर बल देते हुए कहा कि सदस्यों को पता होना चाहिए कि प्रश्नकाल, शून्यकाल, आधे घंटे की चर्चा और स्थगन प्रस्ताव जैसे संसदीय साधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जाए, क्योंकि इससे उन्हें विधि निर्माण में मदद मिलेगी। उन्होंने सदस्यों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रभावी ढंग से निर्वहन और लोगों के साथ जुड़ने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की भी सलाह दी। बिरला ने कहा कि नियमों और विविध विषयों के ज्ञान के साथ ही प्रौद्योगिकी के उपयोग से वे बेहतर विधायक बनेंगे। बिरला ने कहा कि इस कार्यक्रम की विषयवस्तु तथा वरिष्ठ नेताओं और विषय विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से नवनिर्वाचित सदस्यों को निश्चित रूप से विधायी मामलों की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष सतीश महाना भी शामिल हुए।

ये भी रहे शामिल
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि अध्यक्ष के रूप में बिरला ने प्रत्येक सदस्य को अपनी बात कहने का अवसर देकर और सदन में सदस्यों का विश्वास बढ़ाकर लोक सभा में एक नया इतिहास रचा है। साव ने कहा कि लोक सभा अध्यक्ष के रूप में बिरला के कार्यकाल के दौरान संसद के नये भवन का निर्माण किया गया जो अपने आप में एक गौरवशाली और ऐतिहासिक क्षण है। इससे पहले छत्तीसगढ़ विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने स्वागत भाषण दिया। छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय कार्य, शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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