कोर्ट का अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इंकार
योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को किया खारिज

LP Live, New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस योजना को सशस्त्र बल अच्छी तरह से सुसज्जित करने और राष्ट्रीय हित में पेश किया है।
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। ये याचिकाएं इस योजना, इसकी भर्ती प्रक्रिया और उम्मीदवारों की नियुक्ति को चुनौती देते दायर की गई थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि योजना राष्ट्रीय हित में है और इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है। पीठ ने भारतीय सशस्त्र बलों में प्रवेश योजना की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए सभी 23 याचिकाओं को खारिज कर दिया। बेंच ने 15 दिसंबर 2022 को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले अगस्त में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने अग्निपथ योजना को रोकने से इनकार कर दिया था और उन्हें सरकार की रक्षा भर्ती योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल, पंजाब और हरियाणा, पटना और उत्तराखंड के उच्च न्यायालयों से भी कहा है कि वे अग्निपथ योजना के खिलाफ लंबित जनहित याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्रांसफर कर दें।
इसलिए हो रहा विरोध
केंद्र सरकार द्वारा 14 जून को शुरू की गई अग्निपथ योजना, सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए नियम बनाती है। 17 से साढ़े 21 वर्ष के बीच के लोग आवेदन करने के पात्र हैं और उन्हें चार साल के कार्यकाल के लिए शामिल किया जाएगा। यह योजना उनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा प्रदान करने की अनुमति देती है। योजना के आने के बाद कई राज्यों में विरोध शुरू हो गया। जिसके बाद सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया। 19 जुलाई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया था।
