LP Live, New Delhi: देश की अदालतों में लंबित चार करोड़ से ज्यादा लंबित मामलों में पिछले 25 साल या उससे पुराने मामलों का अभी तक निपटान नहीं हो पाया है। इन करोड़ो लंबित मामलों के अदालतों में लगे अंबार में 85 फीसदी मामले जिला एवं अधीनस्थ अदालतो में लंबित पड़े हुए हैं।
राज्यसभा में गुरुवार को केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी देते हुए बताया कि देशभर की विभिन्न अदालतों में 4,01,099 मामले ऐसे हैं, जो 25 वर्षों से भी अधिक समय से लंबित हैं। उन्होंने बताया कि 27 जनवरी 2023 तक एकीकृत वाद प्रबंधन सूचना प्रणाली से प्राप्त डाटा का हवाला देते हुए कहा कि 25 वर्षों से अधिक समय तक लंबित मुकदमों की संख्या 81 है। 30 जनवरी 2023 तक राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड के डाटा के अनुसार 25 वर्षों से अधिक समय तक लंबित वादों की संख्या उच्च न्यायालय में 1,24,810 और जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में 2,76,208 है।
लंबित मामलों का निपटान चुनौती
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि लंबित मामलों की समस्या एक बहुआयामी समस्या है जो देश की जनसंख्या में वृद्धि और जनता में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही साल दर साल नए मामलों की संख्या भी बढ़ रही है। रीरीजू ने कहा कि न्यायालयों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों के कई कारण है और इनमें अन्य बातों के साथ पर्याप्त संख्या में न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारियों की उपलब्धता, सहायक न्यायालय कर्मचारीवृंद और भौतिक अवसंरचना, बार-बार स्थगन और मॉनिटर करने की पर्याप्त व्यवस्था में कमी, सुनवाई के लिए ट्रैक और बहु मामले, साक्ष्यों की जटिलता, साक्ष्य की प्रकृति, साक्षियों और वादियों तथा नियमों एवं प्रक्रियाओं के उचित आवेदन सम्मिलित है।