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संसदीय मर्यादा के अनुरूप हो जनप्रतिधियों का आचरण

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में बोले लोकसभा अध्यक्ष

ओम बिरला का कार्यपालिका की जवाबदेही के लिए काम के नए तौर तरीकों को बढ़ावा देने पर बल
LP Live, Mumbai: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुंबई में आयोजित 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन किया। जहां उन्होंने जनप्रतिधियों को सदन में संसदीय मर्यादाओं के अनुरुप आचरण से कार्यपालिका की जवाबदेही को मजबूत बनाने की अपील की। इस सम्मेलन में वीडियों संदेश के जरिए पीएम मोदी भी शामिल हुए।

महाराष्ट्र विधान सभा परिसर मुंबई में आयोजित तीन दिवसीय 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया। इस सम्मेलन में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, महाराष्ट्र विधान परिषद की उप सभापति डॉ. नीलम गोरहे और महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि सीताराम झिरवाल के अलावा लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह और राज्य सभा के महासचिव पीसी मोदी भी उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे। इस मौके पर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वीडियो संदेश के माध्यम से हिस्सेदारी की। सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं व विधान परिषदों के 26 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया। अपने संबोधन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधानमंडलों में अनुशासनहीनता, कार्यवाही में व्यवधान और असंसदीय आचरण की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे विधानमंडलों की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है। बिरला ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमति व्यक्त करने के लिए गुंजाइश बताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को व्यवधान के बजाए संसदीय मर्यादाओं के अनुरुप आचरण करके असहमति जतानी चाहिए और विधानमंडलों की प्रतिष्ठा और गरिमा को बनाने की दिशा में मर्यादापूर्ण आचरण ही सर्वोपरि होना चाहिए। बिरला ने सदस्यों से सदन में अपना समय रचनात्मक कार्यों में लगाने का आग्रह किया। बिरला ने सुझाव दिया कि यदि आवश्यक हो तो नियमों में बदलाव करते हुए ठोस और निश्चित कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विधानमंडल बिना किसी व्यवधान के कार्य कर करें।

सार्थक चर्चा पर बल
बिरला ने सुझाव दिया कि सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में राज्य विधानमंडलों द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों पर सदन में सार्थक चर्चा पर बल देते हुए कहा कि ऐसे उपायों से जनता के बीच विधानमंडलों और जन प्रतिनिधियों दोनों की विश्वसनीयता बढ़ेगी। विधायी कार्यों में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देते हुए बिरला ने सुझाव दिया कि जन प्रतिनिधियों को प्रौद्योगिकी में दक्ष होना चाहिए और जनता से जुड़ने के लिए इसका उपयोग करना चाहिए। बिरला ने कहा कि प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक उपयोग से सदस्यों की दक्षता में वृद्धि होगी। बिरला ने यह भी कहा कि विधानमंडल में सदस्यों की क्षमता निर्माण को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और सदस्यों के लिए विधानमंडल के नियमों, विधायी साधनों और प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

संसदीय समितियों की भूमिका
लोकतंत्र में संसदीय समितियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि संसदीय समितियाँ वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कानूनों और नीतियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि संसदीय समितियां वास्तव में ‘मिनी संसद’ हैं और वे संसद की ओर से इन कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों की समीक्षा करती हैं और उन्हें जनता के लिए अधिक उपयोगी बनाती हैं। बिरला ने सुझाव दिया कि संसदीय समितियाँ सहयोग और समावेशिता की भावना से काम करें, सभी पक्षों के सामूहिक ज्ञान का उपयोग करते हुए रचनात्मक चर्चा संवाद करें और परिणाममूलक बनें।

क्या है सम्मेलन का एजेंडा
84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का एजेंडे में लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों के विश्वास को मजबूत करने के लिए संसद और राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के विधानमंडलों में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता तथा समिति व्यवस्था को अधिक उद्देश्यपूर्ण एवं प्रभावी कैसे बनाया जाये जैसे एजेंडे पर चर्चा की जा रही है।

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