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शामली में जल्द खुलेगा मेडिकल कॉलेज

माफिया और पलायन के रुप में कुख्यात शामली व मऊ में शिक्षा को बढ़ावा: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने जारी की नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग
नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग कराने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तर प्रदेश
LP Live, Lucknow: उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में एक ओर जहां शामली और मऊ जिले में पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए अनुबंध किये गये। वहीं मिशन निरामयाः के अंतर्गत प्रदेश के सभी नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग जारी की गई। नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थानों की गुणवत्ता सुधार के लिए अपनाई गई ‘मेंटॉर-मेंटी’ प्रक्रिया के तहत 08 नए संस्थानों को मेंटॉर का प्रमाण पत्र दिया गया।

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने इस मौके पर कहा कि प्रदेश में 2017 से पहले प्रदेश में मात्र 12 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन 2017 के बाद ‘एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज की परिकल्पना के तहत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो रही है। फिलहाल 45 जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, जबकि 16 जिलों में निर्माणाधीन हैं। उन्होंने कहा कि मऊ और शामली जैसे जिले, जो आज से 06 वर्ष पहले माफ़िया के कारण भयभीत और शामली जैसे जिले में पलायन का दंश के रुप में पहचाने जाते थे। अब इन जिलों में चिकित्ससा और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिल रहा है। मेडिकल कॉलेज के लिए जनपद मऊ में राजीव सामाजिक शिक्षा सेवा संस्थान को तथा जनपद शामली में चिन्हित प्राईवेट पार्टनर-ज्ञान चेतना एजुकेशलन सोसाइटी एवं उत्तर प्रदेश शासन के बीच एग्रीमेण्ट हस्ताक्षरित हुआ है। प्रत्येक स्थान पर निजी निवेशकर्ता द्वारा लगभग 250 करोड़ रूपये के निवेश से एक निजी मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि आज इन दोनों ही जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की राह किसी सपने के साकार होने जैसा है। योगी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। मेडिकल कॉलेज हो या हॉस्पिटल, नर्सिंग हो या पैरामेडिकल कॉलेज, अगर गुणवत्ता है, मानक पूरा है तो उसकी शासन की सभी पात्र योजनाओं का लाभ बिना विलंब मिलना चाहिए। और अगर वह मानक पूरा नहीं करता तो ऐसे संस्थानों को अपनी सूची से बाहर किया जाना चाहिए।

मिशन निरामया: आठ संस्थान मेंटॉर में होंगे अपग्रेड
पिछली सरकारों ने पैरामेडिकल और नर्सिंग संस्थानों को उपेक्षित रखा था। स्टेट मेडिकल फैकल्टी खुद बीमार थी और गुणवत्तापरक शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं था। ऐसे में ‘मिशन निरामयाः’ की आवश्यकता थी, जिसे सरकार ने बढ़ाया। इसके तहत 12 अच्छे संस्थानों को मेंटॉर के रूप में चिन्हित किया गया। मेंटॉर-मेंटी की नीति के साथ आगे बढ़ी सुधार की प्रक्रिया का ही परिणाम है कि आज 08 और संस्थान मेंटॉर के रूप में अपग्रेड हो गए हैं। यह बदलती हुई व्यवस्था का प्रमाण है। वहीं उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री ब्रजेश पाठक ने पैरामेडिकल व नर्सिंग संस्थानों की आवश्यकता पर जोर देते हुए हर मेडिकल कॉलेज के साथ नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थान स्थापना की नीति के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित किया और गुणवत्तापरक चिकित्सा शिक्षा के लिए हर जरुरी प्रयास करने के लिए मुख्य्मंत्री को विश्वास दिलाया।

अन्य राज्यों ने अपनाया यूपी का मिशन निरामया:
यूपी के ‘मिशन निरामयाः’ जैसे अभिनव प्रयास के लिए मुख्यमंत्री के विजन को प्रेरक बताते हुए क्यूसीआई के सेक्रेटरी जनरल आरपी सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के इस प्रयास का अनुकरण करते हुए नीति आयोग ने इंडियन नर्सिंग कॉउंसिल को ऐसी ही व्यवस्था पूरे देश में लागू करने का परामर्श दिया है। इससे पहले, क्यूसीआई सेक्रेटरी जनरल ने रेटिंग तय करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 34 दिन के भीतर क्यूसीआई की टीम प्रदेश के हर संस्थान नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थान में गई, वहां तय मानकों पर शैक्षिक गुणवत्ता की परख की गई।

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