मध्य प्रदेश: भाजपा की रणनीति के सामने कांग्रेस की चुनौती!
लोकसभा की कुछ सीटों पर दोनों दलों के बीच होगा कड़ा चुनावी मुकाबला
LP Live, New Delhi: मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल करने के लक्ष्य से लोकसभा चुनाव में नई रणनीति के साथ उतरी भाजपा के सामने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। यहां पहले चरण में छह लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होगा, जहां कांग्रेस का गढ़ माने जानी वाली छिंदवाड़ा सीट से कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा की राह आसान नहीं है, लेकिन उसके लिए इस सीट का चुनाव महत्वपूर्ण है। हालांकि भाजपा से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने भी यहां अंचलवार रणनीति बनाकर अपने प्रत्याशियों को चुनावी जंग में उतारा है। इसलिए मध्य प्रदेश में जहां भाजपा के सामने तमाम सीटों पर परचम लहराने का लक्ष्य आसान भी नहीं है, लेकिन कांग्रेस के लिए इस राज्य में लोकसभा चुनाव महत्वूपर्ण होगा।
मध्य प्रदेश की राजनीतिक समीकरण अलग क्षेत्रों में अलग हैं, जहां सभी दल उसकी आधार पर अपनी रणनीति बनाकर चुनाव मैदान में उतरते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी प्रमुख रुप से भाजपा और कांग्रेस ने अलग अलग अंचल यानी मालवा-निमाड, महाकौशल, विंध्य, चंबल, बुंदेलखंड, मध्य भारत में जहां भाजपा ने पिछले चुनाव में जीत का आधार बने वोट बैंक को और ज्यादा बढ़ाने के लक्ष्य के साथ नई रणनीति तैयार की है। भाजपा इस सभी सीटों पर जीत हासिल करके मध्य प्रदेश को फतेह करना चाहती है, ताकि उसके 400 पार के नारे को साकार किया जा सके। वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस पार्टी ने भाजपा से एक कदम आगे बढ़कर मध्य प्रदेश की लोकसभा सीटों को आठ जोन भोपाल जोन, चंबल जोन, बुंदेलखंड जोन, विंध्य जोन, नर्मदापुरम जोन, महाकौशल जोन, उज्जैन जोन और मालवा-निमाड जोन में विभाजित करके हर लोकसभा सीट पर एक प्रभारी नियुक्त किया है। दरअसल प्रदेश में जातिगत समीकरण भी किसी भी प्रत्याशी की हार जीत का फैसला करने में समक्ष है, इसीलिए भाजपा व कांग्रेस ने जाति व धर्म के आधार पर कई प्रत्याशियों को टिकट दिये हैं।
क्या हैं दलों की रणनीतियां
लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर काबिज होने के इरादे के साथ भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस भी अपनी ठोस रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरी है। जहां भाजपा ने पिछले विधानसभा में राज्य संगठन के चुनाव प्रबंधन की सफलता के फार्मूले के आधार पर लोकसभा सीटों को सात जोन में बांटकर अपनी रणनीति तैयार की है। यही नहीं भाजपा अन्य राज्यों में भी एमपी फार्मूले को अमल लाकर चुनावी रणनीति को हवा दे रही है। दूसरी ओर भाजपा के इस एमपी फार्मूले को टक्कर देने के इरादे से कांग्रेस ने भी राज्य की सभी लोकसभा सीटों को आठ जोन में बांटकर हर लोकसभा क्षेत्र में ‘वार रुम’ स्थापित किये हैं, जहां हर सीट पर एक प्रभारी की नियुक्ति की है, जो कांग्रेस प्रत्याशी, लोकसभा क्षेत्र, जिला प्रभारी एंव संगठन से जुड़े सभी पदाधिकारियों और कांग्रेस संगठन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करेंगे।
सांसद चुनेंगे 5.63 करोड़ मतदाता
लोकसभा सीटों पर इस बार मध्य प्रदेश की 29 सीटों के चुनाव में 5,63,40,064 मतदाता प्रत्याशियों के लोकसभा जाने का रास्ता तय करेंगे। इनमें 2,89,51,705 पुरुष तथा 2,73,87,122 महिला मतदाता है। इस बार 18-19 साल आयु वाले 16,02,647 नए युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। प्रदेश में 75,246 सर्विस मतदाता भी हैं। 70 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग मतदाताओं की संख्या 28 लाख से अधिक हैं। यहां जबकि नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 5.60 करोड़ मतदाता थे। यानी पिछले 4 महीने में 3 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज किये गये हैं।
इन सीटों पर महिलाओं की अहम भूमिका
पहले चरण में 19 अप्रैल को जिन छह लोकसभा सीटों पर चुनाव में एक करोड़ 1.12 करोड 71 हजार मतदाता वोटिंग करेंगे, जिसमें सर्वाधिक 20.97 लाख मंडला और सबसे कम 16.28 लाख मतदाता छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में हैं। खासबात ये है कि इस चरण में मंडला और बालाघाट ऐसी हैं, जहां महिला मतदाता की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। यानी मांडला सीट पर 20,97,051 मतदाताओं में 10,48,930 और बालाघाट सीट पर 18,71,270 मतदाताओं में महिला मतदाताओं की संख्या 941821 है।
पिछले चुनाव में भाजपा ने कब्जाई थी 28 सीटें
लोकसभा 2019 को हुए पिछले चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से भाजपा ने 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। जहां तक जोनों के आधार पर राजनीतिक दलों द्वारा विभाजित लोकसभा सीटों का सवाल है, उसमें भाजपा को सबसे ज्यादा भोपाल जोन यानी मध्य भारत में सर्वाधिक 64.6 फीसदी वोट मिले थे। जबकि बुंदेलखंड जोन की सीटों पर 62.18, मालवा-निमाड जोन में 58.44, विंध्य जोन में 56.32, महाकौशल जोन में 52.69 तथा ग्वालियर-चंबल जोन में 51.50 फीसदी वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। जबकि कांग्रेस को चंबल जोन में सबसे ज्यादा 38.53 फीसदी और बुंदेलखंड जोन में सबसे कम 39.28 फीसदी वोट ही मिल सके थे और चुनावी नतीजे भाजपा की झोली में चले गये।
छिंदवाड़ा सीट पर भाजपा की चुनौती
मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट ऐसी है, जिसे भाजपा मोदी लहर में भी नहीं जीत पाई। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता कमलनाथ का गढ़ कही जाने वाली इस सीट को छोड़कर भाजपा ने बाकी सभी 28 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। इस बार भाजपा ने इस सीट के लिए अपनी नई रणनीति बनाकर ज्यादा फोकस किया है। कांग्रेस ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को प्रत्याशी बनाया है, जिसे चुनौती देने के लिए भाजपा ने बंटी कुमार साहू को ठोस रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतारा है।
इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
मध्य प्रदेश में जहां भाजपा सभी सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है, तो वहीं कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के सपा व अन्य दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है। राज्य में भाजपा के प्रमुख प्रत्याशियों में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, फग्गन सिंह कुलस्ते, महेन्द्र सोलंकी, संध्या राय, आशीष दुबे, अनिता नागर, लता वानखेड़े व बंटी कुमार साहू जैसे प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने हाईब्रांड दिग्वजय सिंह, पूर्वमंत्री कांतिलाल भूरिया, कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ, महेश परमार, नीलम मिश्रा और अरुण श्रीवास्तव जैसे उम्मीदवरों पर दांव खेला है। इनके अलावा बसपा और भारत आदिवासी पार्टी भी मध्य प्रदेश में ताल ठोक रही है।
चार चरणों में होगा चुनाव
पहला चरण(19 अप्रैल)-सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा।
दूसरा चरण(26 अप्रैल)-टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद, बैतूल।
तीसरा चरण(07 मई)-मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़।
चौथा चरण(13 मई)-देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन, खंडवा।