दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति व स्थानांतरण पर केंद्र का अधिकार
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भारत सरकार ने जारी की अधिसूचना


संसद में भारी विरोध के बावजूद विधेयक को रोकने में विफल रहा विपक्ष
LP Live, New Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्तियां और स्थानांतरण पर अब दिल्ली सरकार के नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में होगा। इसके लिए संसद में पारित दिल्ली सेवा संबन्धी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भारत सरकार की अधिसूचना जारी होते ही यह कानून लागू हो गया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आप सरकार और उप राज्यपाल के बीच अधिकारियों की नियुक्ति और तबादलों को लेकर टकराव के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अधिकार दे दिये थे, जिसके बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया और उसे संसद में एक विधेयक के रुप में पेश किया, जिसे विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। अब इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगते ही एक अधिसूचना जारी कर इस कानून को लागू कर दिया गया है। पारित होने के बाद अब दिल्ली सेवा बिल को राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई है। अब भारत सरकार की नोटिफिकेशन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम दिल्ली में कानून बन गया है।

उप राज्यपाल के बढ़े अधिकार
अधिसूचना के अनुसार इस अधिनियम को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम के रुप में जाना जाएगा और यह अधिनियम 19 मई, 2023 से लागू माना जाएगा, जब सरकार ने अध्यादेश जारी किया था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम प्रावधानों के अनुसार ‘उपराज्यपाल’ का अर्थ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत नियुक्त प्रशासक और राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल के रूप में नामित किया गया है। यानी दिल्ली सरकार के अधीन अधीकारियों की नियुक्तियां और तबादले उप राज्यपाल की मंजूरी से होगा। यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी के अधिकारियों के निलंबन और पूछताछ जैसी कार्रवाई भी केंद्र के नियंत्रण में होगी।
संसद में विपक्ष ने किया था विरोध
संसद के मानसून सत्र के दौरान दिल्ली सेवा बिल को मणिपुर हिंसा पर लोकसभा और राज्यसभा में हंगामे के बीच पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में पेश किया गया था। इस बिल के विरोध में दोनों सदनों में अधिकांश विपक्षी दलों ने विरोध किया। लोकसभा में विपक्ष के वाकआउट करने से इसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया। जबकि विपक्ष को राज्यसभा में इसे गिर जाने की उम्मीद थी, लेकिन यहां भी विपक्ष इस विधेयक को पारित होने से नहीं रोक पाया, जहां बिल के पक्ष में 13 और विरोध में 102 मत पड़े। यह भी गौरतलब है कि सरकार के अध्यादेश जारी करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने देशभर में घूमकर विपक्षी दलों से इस अध्यादेश का विरोध करके समर्थन बटोरने पर लाखों कर ड़ाले, लेकिन निराशा ही हाथ लगी।
