उत्तर प्रदेश
दिल्ली-एनसीआर में सांसों पर संकट, लोनी में सबसे ज्यादा प्रदूषण
लोनी में लोहा और एल्युमिनियम उद्योग प्रदूषण की बड़ी वजह, 358 एक्यूआई
LP Live, Ghaziabad: दीपावली के बाद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। बुधवार को गाजियाबाद, दिल्ली, और नोएड़ा में सबसे ज्यादा एयर क्वालिटी इंडेक्स लोनी में खराब मिला है। लोनी क्षेत्र का एक्यूआई 355 दर्ज किया गया है, जो अधिक खराब श्रेणी में आता है। आगामी दिनों में प्रदूषण और अधिक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, जिससे सांस के मरीजों सहित अन्य लोगों को प्रदूषण के साथ जीना पड़ सकता है।हालाकि हवा में उड़ रहे प्रदूषण के कणों को खत्म करने के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी एंटी स्माग गन व टेंकरों की मदद् से छिड़काव कर वातावरण को सामान्य करने के प्रयास कर रहे हैं।
यहां इतना रहा प्रदूषण
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को गाजियाबाद संजय नगर क्षेत्र में 216 एक्यूआई, वसूंधरा में 264 एक्यूआई, इंद्रपुरम में 272 एक्यूआई, लोनी में 358 एक्यूआई, दिल्ली के विवेक विहार और दिलशाद गार्डन में 298एक्यूआई, आनंद विहार और साहिबाबाद में 355 एक्यूआई और नोएडा सेक्टर 62 में 301 एक्यूआई रहा।
लोनी में लोहा और एल्युमिनियम उद्योग प्रदूषण की बड़ी वजह
लोनी क्षेत्र में सबसे अधिक प्रदूषण की वजह वहां अवैध रूप से संचालित फैक्ट्रियां और लोहा व एल्युमिनियम की औद्योगिक इकाइयां है। दिल्ली के न्यू मंडोली इंडस्ट्रीयल क्षेत्र से सटे लोनी क्षेत्र के सेवाधाम, टिल्ला गांव, प्रतापनगर, बेहटा आदि जगहों पर आवासीय क्षेत्रों में छोटी- बड़ी फैक्ट्रियां और औद्योगिक इकाइयां पुलिस और प्रशासन के चोरी छिपे मानकों के विपरीत संचालित हो रही है। आवासीय क्षेत्रों में संचालित इन अवैध भट्टियों की चिमनियां से निकलने वाला धुआं हवा में जहर घोल रहा है, जिसका असर वहां के स्थानीय लोगों को पर बीमारी के रूप में पड़ रहा है। यहीं कारण है कि लोनी क्षेत्र में सबसे अधिक प्रदूषण हर बार सामने आ रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
गाजियाबाद और उससे सटे दिल्ली के हिस्सों की रिपोर्ट में सबसे अधिक लोनी में प्रदूषण सामनेआया है। इसका कारण दिल्ली-देहरादून मार्ग के लिए चल रहे निर्माण कार्य, लोनी के अधिकतर क्षेत्र के कच्चें रास्ते हैं, जहां धूल अधिक उड़ती है। सेवाधाम सहित अन्य स्थानों पर अवैध रूप से संचालित औद्योगिक इकाइयों काे लगातार बंद कराया जाता है। बढ़े हुए प्रदूषण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव बढ़ाया जाएगा।
– उत्सव शर्मा, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी, गाजियाबाद