संविधान में इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल करने की व्यवस्था
LP Live, New Delhi: क्या संसद के विशेष सत्र में केंद्र सरकार की इंडिया शब्द हटाकर भारत करने की योजना है, जिसके लिए संविधान में संशोधन के संकेत जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले विदेशी मेहमानों के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिये जाने वाले डिनर के निमंत्रण ने संकेत दिये हैं। इसके लिए विभिन्न राजनीतक दलों को भेजे गये राष्ट्रपति के नियमंत्रण पत्र पर ‘द प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया की जगह द प्रेसीडेंट ऑफ भारत’लिखा गया है। यह देखकर समूचा विपक्ष इतना आग बबूला है कि इसे लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है।
दरअसल यह निमंत्रण शनिवार रात आठ बजे जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल भारत मंडपम में रात्रिभोज में शामिल होने के लिए है। प्रधान ने निमंत्रण पत्र की एक तस्वीर साझा करते हुए हैशटैग ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ का इस्तेमाल किया और कहा कि जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता। संविधान विशेषज्ञ निमंत्रण पत्र पर ‘द प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ लिखे जाने को गलत नहीं मानते। इसके लिए तर्क दिये जा रहे हैं कि संविधान में स्पष्ट है कि कोई भी नागरिक इंडिया या भारत या दोनों शब्दों को इस्तेमाल कर सकता है। विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों ने भी निमंत्रण पद पर भारत शब्द लिखने का समर्थन किया है।
विपक्षी गठबंधन को बड़ा ऐतराज
दूसरी ओर विपक्षी दलों ने के इंडिया गठबंधन ने भारत नाम इस्तेमाल करने पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) से डर के चलते सरकार देश का नाम बदलने में जुट गई है। मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘बांटने वाली’ इस राजनीति के सामने नहीं झुकेगा और वह जीत हासिल करेगा। जबकि विपक्ष भी मानता है कि संविधान के अनुच्छेद अनुच्छेद 1 में लिखा है कि ‘भारत अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा। लेकिन इसके बावजूद विपक्ष भारत के नाम को ‘राज्यों के संघ’ पर भी हमले बताकर राजनीति को हवा दे रहा है। इससे विपक्षी गठबंधन को शायद यही डर सता रहा है कि संसद के विशेष सत्र में सरकार संविधान से इंडिया शब्द हटाने की योजना बना रही है।