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अब पंजाब के बजाए हिमाचल के रास्ते पहुंचेगा हरियाणा में पानी

एसवाईएल नहर पर हरियाणा-पंजाब के बीच पानी पर जारी है विवाद

हिमाचल प्रदेश सरकार ने वैकल्पिक मार्ग के लिए दी सहमति
LP Live, Chandigarh: हरियाणा व पंजाब के बीच एसवाईएल नहर यानी सतलुज के पानी को लेकर चल रहे विवाद के बीच हिमाचल प्रदेश आगे आया। हरियाणा व हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच बनी सहमति में वैकल्पिक मार्ग से सतलुज का पानी हरियाणा की प्यास बुझाएगा। इस प्रस्ताव के तहत अब पंजाब के बजाए हिमाचल के रास्ते सतलुज नदी का पानी हरियाणा पहुंचेगा। हालांकि इसमें पानी आपूर्ति का सफर 67 किमी का होगा। इस वैकल्पिक मार्ग से हरियाणा सरकार पर 42 हजार करोड़ का हरियाणा सरकार पर बोझ पड़ेगा।

पिछले दिनो चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलने आए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच हरियाणा सरकार ने राज्य में जलापूर्ति के विकल्पों पर मंथन किया। इस पर हिमाचल प्रदेश ने हरियाणा को सतलुज के पानी की आपूर्ति के लिए इस वैकल्पिक मार्ग से पानी भेजने की पेशकश रखी। इस प्रस्ताव पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच सहमति बनी और हिमाचल के सीएम ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है। इस वैकल्पिक प्रस्ताव के तहत किस मार्ग से हरियाणा को सतलज के पानी की आपूर्ति होगी, इस पर जल्द ही दोनों राज्यों के सिंचाई विभाग एवं जलशक्ति विभाग के सचिव स्तर की वार्ता होगी।

क्या है वैक्लिक प्रस्ताव
पंजाब के रास्ते हरियाणा में पानी पहुंचाने की दूरी 157 किलोमीटर है और पंजाब सरकार ने इसके लिए अधिग्रहित जमीन भी किसानों को लौटा दी है। अब जब वैकल्पिक प्रस्ताव में पंजाब के बजाय हिमाचल के 67 किमी रास्ते से सतलुज नदी का पानी लाया जा सकता है। इस पर करीब 4200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सतलुज से नालागढ़, बद्दी, पिंजौर, टांगरी होते हुए जनसुई हेड तक पानी लाकर पूरे हरियाणा में पानी पहुंचाया जा सकता है। दरअसल दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी जिलों में सिंचाई के लिए पानी की कमी है। पानी की कमी के कारण हर साल हजारों एकड़ भूमि में रोपनी नहीं हो पाती है।

कमेटी ने भी दिया सुझाव
हरियाणा सरकार को हिमाचल के रास्ते पानी लाने का यह सुझाव एसवाईएल हिमाचल मार्ग कमेटी ने भी दिया है। कमेटी के अध्यक्ष जितेंद्र नाथ ने पंजाब के बजाय हिमाचल के रास्ते पानी लाने का रास्ता सुझाया है। हरियाणा में 72 ब्लॉक डार्क जोन में चले गए हैं और अगर ऐसे ही हालात रहे तो 2039 तक राज्य का जलस्तर और नीचे चला जाएगा।

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