उत्तर प्रदेश

एनक्यूए प्रमाण पत्र पाने में यूपी के जिला अस्पताल रहे अव्वल

सीएम योगी की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मुहिम ला रही है रंग, तीन चरणों के असेसमेंट के बाद दिया जाता है नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस (एनक्यूए) प्रमाण पत्र

LP Live, Lucknow: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयासरत है। पिछले 6 वर्षों में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से सुधार हुआ है। पूरे देश में प्रदेश के जिला चिकित्सालयों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस मानक (एनक्यूए) के आधार पर प्रथम स्थान मिलना इसकी बानगी है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से जिला चिकित्सालयों की गुणवत्ता पर प्रदान किया जाता है। यह प्रमाण पत्र नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस (एनक्यूए) स्टैंडर्ड मानकों के आधार पर तीन चरणों की जटिल प्रक्रिया के बाद प्रदान किया जाता है। वहीं योगी सरकार द्वारा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने को स्किल्ड बर्थ अटेंडेंट (एसबीए) का प्रशिक्षण युद्धस्तर पर चल रहा है।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से जिला अस्पतालों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने पर 46 जिलों की 81 चिकित्सा इकाइयों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस प्रमाणपत्र दिया गया है, इससमें 43 जनपद स्तरीय, 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 22 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। वहीं प्रदेश के अन्य चिकित्सा इकाइयों को एनक्यूए प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए योगी सरकार की ओर विभिन्न आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं। इसके साथ ही इन चिकित्सा इकाइयों में विभिन्न सुधार के लिए मोटा बजट भी दिया गया है, ताकि प्रदेश की सभी चिकित्सा इकाइयां नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड मानकों पर खरे उतर सकें। सीएम योगी ने एक बैठक में उच्च अधिकारियों को प्रदेश की 25 करोड़ आबादी को सरकारी अस्पतालों में गुणवत्तापरक उपचार के साथ जीरो पॉकेट खर्च पर काम करने के निर्देश दिये हैं, ताकि मरीज प्राइवेट अस्पतालों की ओर रूख न करें।

जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर में कमी लाने को ट्रेनिंग
योगी सरकार प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को सौ प्रतिशत सुरक्षित प्रसव की सुविधा देने और मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रदेश के प्रसव केंद्र पर तैनात एएनएम, एलएचवी (लेडी हेल्थ विजिटर), स्टाफ नर्स, आयुष महिला डॉक्टर्स की क्षमता को बढ़ाने के लिए स्किल्ड बर्थ अटेंडेंट (एसबीए) ट्रेनिंग दे रही है। इसका मुख्य लक्ष्य नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार प्रति लाख डिलीवरी के वक्त मातृ मृत्यु दर जो 167 है, उसे कम करके वर्ष 2030 तक 70 पर लाना है। इसी तरह नवजात शिशु मृत्यु दर (प्रति एक हजार जीवित प्रसव) 28 है, जिसे वर्ष 2030 तक 12 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। एसबीए ट्रेनिंग के माध्यम से सरकार गर्भवती महिला को 100 प्रतिशत सुरक्षित प्रसव की सुविधा देने के लिए तैनात स्वास्थ्य कर्मियों के ज्ञान और कौशल की क्षमता में वृद्धि करना है।

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