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संसद के मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

संसद ने 23 विधेयकों पर लगाई मुहर, लोकसभा में 22 व राज्यसभा में 25 विधेयक पारित

नियमों के उल्लंघन में आप के तीन सांसदों समेत कई सांसद हुए निष्कासित
विपक्ष के हंगामे के कारण निचले सदन की उत्पादकता महज 45 प्रतिशत रही
LP Live, New Delhi: संसद के मानसून सत्र संपन्न हो गया और दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है। इस सत्र के दौरान पहले ही दिन से विपक्षी दलों ने मणिपुर हिंसा को लेकर दोनों सदनों में हंगामा किया। इसके बावजूद संसद ने 23 विधेयकों को पारित किया, जिन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है। इसमें लोकसभा में 22 तथा राज्यसभा में 25 विधेयक पारित किये गये। दोनों सदनों में हंगामें के कारण ज्यादा समय बर्बाद हुआ, जिसकी वजह से लोकसभा की उत्पादकता करीब 45 फीसदी और राज्यसभा की 63 फीसदी रही।

संसद का 20 जुलाई से शुरु हुए मानसून सत्र में दोनों सदनों में 17-17 बैठके हुई। सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष मणिपुर हिंसा को लेकर लगातार हंगामा करता रहा और इस दौरान विपक्ष के कई सांसदों को निलंबित करने की भी कार्रवाई हुई। संसद सत्र के अतिंम दिन दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहृलाद जोशी ने जानकारी दी कि लोकसभा में कुल 22 विधेयक पारित किए गए, राज्यसभा में 25 विधेयक और दोनों सदनों में 23 विधेयक पारित किए गए। इसके अलावा आईपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) को बदलने के लिए गृह मंत्रालय के तीन विधेयक ( सीआरपीसी), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को संसद की स्थायी समिति को भेजा गया है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक कारणों से विपक्ष ने दिल्ली सेवा विधेयक के अलावा किसी भी अन्य बिल पर चर्चा में भाग नहीं लिया। वैसे राज्यसभा में लगभग सभी विधेयकों पर चर्चा हुई। उधर लोकसभा की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले सदन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह 17वीं लोकसभा का 12वां सत्र था। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा सदन में पेश किये गये मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 19 घंटे 59 मिनट चली, जिसमें 60 सदस्यों ने हिस्सेदारी की। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान 50 तारांकित प्रश्नों का मौखिक उत्तर दिया गया। वहीं नियम 377 के तहत कुल 361 मामले उठाए गए। लोक सभा की विभागों से सम्बद्ध स्थायी समितियों ने 65 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए।

संसद में पारित हुए प्रमुख विधेयक
संसद में पारित किये गये महत्वपूर्ण विधेयकों में बहु राज्य सहकारी सोसाइटी संशोधन विधेयक 2023, डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक 2023, राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक 2023, राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक 2023, जन विश्वास उपबंधों का संशोधन विधेयक 2023, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023 और अंतर सेना संगठन कमान, नियंत्रण और अनुशासन विधेयक 2023 शामिल हैं। लोकसभा में सीजीएसटी और आईजीएसटी संशोधन बिल पास हो गया। मानसून सत्र के आखिरी दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये बिल सदन में पेश किया था। जबकि शुक्रवार को ही गृहमंत्री अमित शाह ने भी लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 तथा भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 विधेयक पेश किये हैं।

राज्यसभा में हुआ साढ़े 50 घंटे का समय बर्बाद
संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा के राज्य सभा के 260वें सत्र के समापन पर सदन में सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि इस सत्र के दौरान 17 बैठकों के दौरान 50 घंटे और 21 मिनट का समय हंगामे और व्यवधान के कारण बर्बाद हुआ, जिसे बचाया जा सकता था और प्रश्नकाल की उत्पादकता बेहतर हो सकती थी। राज्य सभा की कार्य उत्पादकता 63 फीसदी दर्ज की गई। हंगामे के बावजूद उच्च सदन 25 महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सफल रहा और पाचं नए बिल पेश किए गए।

राघव चड्ढा भी निलंबित, संजय सिंह अगले सत्र तक सस्पेंड
राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा को भी निलंबित कर दिया गया है, जो विशेषाधिकार समिति की जांच रिपोर्ट आने तक निलंबित रहेंगे। वहीं इससे पहले 24 जुलाई 2023 को आप के संजय सिंह को अर्मादित आचरण के कारण पहले ही निलंबित कर दिया गया था, जिनको अगले सत्र में निलंबित रखने का निर्णय लिया गया है। राघव चड्ढा को दिल्ली सेवा बिल को समित के समक्ष भेजने के लिए दायर पत्र में कुछ सांसदों के नाम व हस्ताक्षर उनकी अनुमति लिए बिना किये गये हैं। इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है। उच्च सदन में आम आदमी पार्टी के 10 सांसद हैं। आज मॉनसून सत्र के अंतिम दिन उच्च सदन में नेता सदन पीयूष गोयल ने राघव चड्ढा के नियमों का उल्लंघन कर बिना सहमति सदन की समिति में कई सदस्यों का नाम शामिल करने का मुद्दा उठाया। गौरतलब है कि सभापति को उच्च सदन के सदस्य सस्मित पात्रा, एस फान्गनॉन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन से शिकायतें मिली थीं। कि उनकी अनुमति के बिना दिल्ली सेवा बिल को प्रवर समिति के गठन करने के प्रस्ताव में शामिल उनके नामों की सहमति नहीं ली गई।

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