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संसद में ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा से बढ़ी गर्माहट

पीएम मोदी ने ‘वंदे मातरम् के बैंकग्राउंड और बदलाव पर कांग्रेस पर साधा निशाना
मुस्लिम लीग के विरोध पर याद दिलाई जवाहरलाल नेहरू की भूमिका
लोकपथ लाइव, नई दिल्ली: ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में चर्चा शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल समेत कई घटनाओं का जिक्र करते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने वंदे मातरम को लेकर मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग के विरोध का जिक्र और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 1905 में जो वंदे मातरम महात्मा गांधी को राष्ट्र गान के रूप में दिखता था, फिर भी पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा की शुरुआत की और वंदे मातरम् के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख किया। उन्होंने 1975 में लगाए गए आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब राष्ट्रीय गीत के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और संविधान का गला घोंट दिया गया था। उन्होंने सदन में कहा कि वंदे मातरम् स्वतंत्रता आंदोलन का स्वर बन गया था, हर भारतीय का संकल्प बन गया था। उन्होंने विपक्ष को घेरने के साथ वंदे मातरम को लेकर मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग के विरोध का जिक्र किया और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू की भूमिका पर भी सवाल उठाए। मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी को साल 1905 में वंदे मातरम महात्मा गांधी को राष्ट्र गान के रूप में दिखता था, इसके बावजूद भी पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ। वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? अन्याय क्यों हुआ? वो कौन-सी ताकत थी, जिसकी इच्छा खुद पूज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ गई? जिसने वंदे मातरम जैसी पवित्र भावना को भी विवादों में घसीटा गया।

बंगाल का विभाजन पर बना स्वदेशी आंदोलन
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में कहा कि बंगाल का विभाजन तो हुआ लेकिन बहुत बड़ा स्वदेशी आंदोलन हुआ और तब वंदे मातरम् हर जगह गूंज रहा था। अंग्रेज समझ गए थे कि बंगाल की धरती से निकला बंकिम बाबू का यह भाव सूत्र जो उन्होंने तैयार किया था उसने अंग्रेजों को हिला दिया था। इस गीत की ताकत इतनी थी कि अंग्रेजों को इस गाने पर प्रतिबंध लगाने पर मजबूर होना पड़ा था. गाने और छापने पर ही नहीं वंदे मातरम् शब्द बोलने पर भी सज़ा, इतने कठोर कानून लागू किए थे।’

त्याग और तपस्या का मंत्र
मोदी ने कहा कि जिस मंत्र ने, जिस जयघोष ने देश की आज़ादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था, उस वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना इस सदन में हम सबका बहुत बड़ा सौभाग्य है। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और हम सभी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए थे, तब भी देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। लोकसभा में इस चर्चा में कांग्रेस के गौरव गोगई व प्रियंका गांधी वाड‍्रा, सपा के अखलेश यादव, डीएमके सांसद ए. राजा, भाजपा के राजनाथ सिंह, अनुराग ठाकुर व मनोज तिवारी व कंगना रनौत और लोजपा के राजेश वर्मा ने हिस्सा लिया।

राज्यसभा में मंगलवार को चर्चा
संसद में वंदे मातरम पर हो रही इस ऐतिहासिक बहस से राष्ट्रीय गीत के बारे में कई महत्वपूर्ण और अज्ञात तथ्यों के सामने आने की उम्मीद है। इस बहस के लिए 10 घंटे का समय आवंटित किया गया है। पीएम मोदी ने जहां सोमवार को लोकसभा में इस बहस की शुरुआत की, वहीं मंगलवार को राज्यसभा में ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा होगी, जहां गृह मंत्री अमित शाह चर्चा की शुरुआत करेंगे और स्वास्थ्य मंत्री तथा राज्यसभा में नेता जेपी नड्डा दूसरे वक्ता होंगे।

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