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तिरंगा हूं मेरे हर रंग को समेटकर रखना, धरोहर हूं शहीदों की मुझे सहेजकर रखना

LP Live, karnal: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कला एवं संस्कृति प्रभाग, ब्रह्माकुमारीज़ करनाल और
फल्गु मंदिर सुधार समिति फरल के द्वारा हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी (हिंदी प्रकोष्ठ) के सहयोग से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। करनाल सेक्टर सात के ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र के सभागार में कला एवं संस्कृति प्रभाग ब्रह्माकुमारीज़ की राष्ट्रीय संयोजिका ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी के सानिध्य में आयोजित यह कवि सम्मेलन राष्ट्रीय गौरव और शहीदों के प्रति कृतज्ञता के भाव को समर्पित रहा। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रवीण लाठर उपस्थित रहे, जबकि हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के हिंदी प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ धर्मदेव विद्यार्थी ने कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की। सभी अतिथियों और कवियों का पुष्पगुच्छ और तिरंगी पगड़ी से स्वागत करने के बाद कवि सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ सरस्वती वंदना से हुआ।

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इसमें सबसे पहले काव्यपाठ के लिए आमंत्रित विख्यात कवयित्री अनामिका वालिया शर्मा ने देशप्रेम की रचनाओं से श्रोताओं में देशभक्ति का संचार करते हुए कहा,’ तिरंगा हूं मेरे हर रंग को समेटकर रखना, धरोहर हूं शहीदों की मुझे सहेजकर रखना। नहीं है चाह सत्ताओं के संदूकों में रहने की, किसी सैनिक के बक्से में मुझे लपेटकर रखना।’ काव्यपाठ के दौरान श्रोताओं ने अपनी भरपूर तालियों से सुखद प्रतिक्रिया दी। उनके बाद प्रसिद्ध कवि दिनेश शर्मा ‘दिनेश’ ने अपनी प्रस्तुति दी,’ जन गण मन से बढ़े कदम तो कुछ बात बनें, रखें जय हिन्द लबों पर हम तो कुछ बात बने। सुबह शाम हम गाते रहते तरह तरह के गाने, सब मिल गाएं वंदे मातरम् तो कुछ बात बने।’ उन्होंने देशप्रेम पर आधारित अपनी कविता और मुक्तकों से आनंदित कर श्रोताओं से खूब तालियां बटोरी। सुप्रसिद्घ गीतकार और गज़लकार चरणजीत चरण ने अपनी देशप्रेम से ओतप्रोत रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर भाव-विभोर कर दिया। शहीदों को नमन करते हुए चरणजीत ने कहा, ‘जीवन के सारे वैभव को तज दिया पर, नई नस्लों को अंधियार से बचा लिया। शत शत वंदन नमन ऐ शहीदो तुम्हें, देश को गुलामी के गुबार से बचा लिया।’ फिर ब्रह्मकुमार मनोज खुशनुमा ने अपनी ईश्वरीय प्रेम और देशप्रेम से भरपूर अपनी कविताओं की प्रस्तुति दी, ‘उठो हे भारत की संतानों समय सुनहरा आया,
अमृत काल ये आजादी का नया सवेरा लाया।’ जिस पर श्रोताओं से खूब वाहवाही भी उन्हें मिली।
कवि सम्मेलन के बाद अपने संबोधन में मुख्य अतिथि प्रवीण ने सभी कवियों को बेहतरीन प्रस्तुति के लिए साधुवाद दिया और स्वतंत्रता दिवस पर सभी को बधाई दी।

कवि सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने सफल आयोजन के लिए बधाई के साथ-साथ स्वतंत्रता के लिए शहीद हुए बाल शहीदों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा बच्चों को बाल शहीदों के बारे में बताया जाना आवश्यक है ताकि उनमें उचित संस्कारों निरूपित किए जा सकें। भारतीयता के संस्कारों के प्रचार-प्रसार में ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की भी उन्होंने सराहना की। अंत में ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी ने सभी अतिथियों, कवियों और श्रोताओं का कवि सम्मेलन में प्रतिभागिता के लिए धन्यवाद व्यक्त करने के बाद प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की धारणा के अनुरूप स्वतंत्रता के अर्थ और भाव पर प्रेरक और भावपूर्ण संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी को देश के लिए कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए। समापन से पहले सभी अतिथि और कवियों स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। देर शाम तक चले कवि सम्मेलन में सैंकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति रही। कवि सम्मेलन का सफल संचालन कवि मनोज ख़ुशनुमा ने किया।

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