

LP Live, New Delhi: बाल अधिकारों के लिए कार्य करने वाले बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) समेत तीन गैर सरकारी संगठनों ने हरियाणा पुलिस की मदद से नेपाल की एक 15 वर्षीय नाबालिग किशोरी को हरियाणा के जींद जिले में एक मुर्गीपालन फार्म से मुक्त कराया है।
बीबीए समेत तीन गैरसरकारी संगठनों की दो देशों में चार दिन तक चली गहन खोजबीन और हरियाणा पुलिस की तत्परता से नेपाल से मानव तस्करी के जरिए भारत लाई गई एक 15 वर्षीय नाबालिग बच्ची समीहा (बदला हुआ नाम) हरियाणा लाया गया। इसकी तलाश में जुटे गैर सरकारी संगठनों ने एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन जिसे बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए), एमडीडी ऑफ इंडिया, हरियाणा और देहात, उत्तर प्रदेश अपने-अपने राज्यों में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे इन संगठनों ने तत्काल यह जानकारी हरियाणा की सफीदों पुलिस से साझा की। पुलिस की टीमों ने इन संगठनों के सहयोग और उनसे मिली जानकारी पर कार्रवाई करते हुए आखिरकार बच्ची को मुक्त करा लिया।
किशोरी ने साझा की थी लोकेशन
बीबीए के अनुसार जींद जिले के सफीदों स्थित मुर्गीपालन फार्म में पहुंचते ही समीहा ने खतरे को भांप लिया और किसी तरह चोरी-छिपे अपनी मां को फोन से संपर्क कर बताया कि वह खतरे में है। उसने मां को व्हाट्सऐप पर अपनी लोकेशन भी भेजी। भारत-नेपाल सीमा पर छोटी सी किराने की दुकान चलाने वाली समीहा की मां पहले ही उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करा चुकी थी। बेटी को खतरे में देख मां ने तुरंत भारत-नेपाल सीमा पर काम कर रहे एक बाल अधिकार कार्यकर्ता को इसकी जानकारी दी। उत्तर प्रदेश की कार्यकारी निदेशक देवयानी चतुर्वेदी को इस बाबत सूचित किया। अब तक दोनों कार्यकर्ताओं को भली भांति समीना के ठिकाने का अंदाजा हो गया था और उन्हें हरियाणा में किसी से संपर्क करने की जरूरत थी। देवयानी ने बताया कि जैसे ही हमें यह जानकारी मिली, तो तुरंत सलाह के लिए नई दिल्ली में बचपन बचाओ आंदोलन से संपर्क किया। उन्होंने तुरंत एमडीडी ऑफ इंडया से कॉन्फ्रेंस कॉल पर हमारी बात कराई और हमने सभी जानकारियां उनसे साझा की।

पुलिस ने दिखाई तत्परता
एमडीडी की टीम ने बिना समय गंवाए बच्ची को मुक्त कराने के लिए हरियाणा पुलिस से संपर्क किया। एमडीडी ऑफ इंडिया, हरियाणा के सीईओ सुरिंदर सिंह मान ने बताया कि हमने तत्काल सफीदों के पुलिस अधीक्षक आशीष कुमार से संपर्क किया, जिन्होंने तुरंत बताई गई लोकेशन पर बच्ची की तलाश के लिए पुलिस टीम रवाना की। पुलिस टीम ने मौके पर पहुंच कर बच्ची को मुक्त करा लिया। बच्ची को बाल कल्याण समिति, जींद के समक्ष पेश किया गया और उसे एक आश्रय गृह में रखा गया। काउंसलिंग के दौरान बच्ची ने स्वीकार किया कि वह नौकरी के लालच में अपने घर वालों को बताए बिना भारत आ गई थी। काऊंसलिंग और चिकित्सा जांच के बाद समीहा को उसी मां के सुपुर्द कर दिया गया और दोनों नेपाल रवाना हो गईं।
रोजगार दिलाने के बहाने तस्करी
बीबीए के अनुसार नेपाल के नेपालगंज की तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ देने वाली किशोरी रोजी-रोजगार की तलाश में थी। इसी दौरान कुछ महीने पहले उसकी एक रिक्शा चालक शिवा और एक बुजुर्ग महिला हसीना से मित्रता हो गई। शिवा और हसीना ने भांप लिया कि बच्ची आर्थिक तंगी की शिकार है औ किसी भी तरह दो-चार पैसे कमाना चाहती है। इन दोनों ने बच्ची को अपने साथ भारत जाने के लिए राजी कर लिया। हसीना ने उससे हरियाणा में एक मुर्गीपालन फार्म में नौकरी और अच्छी तनख्वाह दिलाने का वादा किया।
