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संयुक्त राष्ट्र ने नमामि गंगे मिशन को पुरस्कृत कर दी मान्यता

विश्व की 10 शीर्ष बहाली फ्लैगशिप पहलों में से एक माना

LP Live, New Delhi: संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भारत की पवित्र नदी गंगा को फिर से जीवंत करने के लिए नमामि गंगे मिशन की पहल को प्राकृतिक को पुनर्जीवित करने वाली विश्व की 10 शीर्ष बहाली फ्लैगशिप पहलों में से एक के रूप में मान्यता दी है। जैव विविधता पर कन्वेंशन में नमामि गंगे को दुनिया के 70 देशों की 150 से अधिक ऐसी पहलों में से चुना गया है।

नमामि गंगे मिशन को कार्यान्वयन कर रहे एनएमसीजी के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने विश्व बहाली दिवस के अवसर पर मॉन्ट्रियल (कनाडा) में जैव विविधता पर कन्वेंशन के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन में आयोजित एक समारोह में यह पुरस्कार प्राप्त किया। नमामि गंगे को दुनिया के 70 देशों की 150 से इस प्रकार की परियोजयनाओं की पहलों में से चयन किया गया है। इन पहलों को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन द्वारा समन्वित एक वैश्विक आंदोलन, संयुक्त राष्ट्र ईको सिस्टम बहाली दशक बैनर के तहत चयन किया गया था। इसे पूरे विश्व में प्राकृतिक स्थानों के क्षरण की रोकथाम और बहाली के लिए तैयार किया गया है। अब नमामि गंगे सहित सभी मान्यता प्राप्त पहलें अब संयुक्त राष्ट्र की सहायता, वित्त पोषण या तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त करने की पात्र होंगी।

स्वच्छता के वैश्विक रोडमैप की तैयारी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंगा नदी को फिर से जीवंत करने की दिशा में मान्यता देते हुए वर्ष 2014 में नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया। नमामि गंगे यानी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने कहा कि विश्व बहाली फोरम, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और खाद्य और कृषि संगठन को नमामि गंगे का शीर्ष 10 बहाली कार्यक्रम में चयन पर आभार जताते हुए कहा कि यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है जब भारत ने जी-20 समूह के राष्ट्रों की अध्यक्षता ग्रहण की है। एनएमसीजी इस मिशन के तहत देश और दुनिया में अन्य नदियों की सफाई के लिए भी रोड मैप तैयार कर रहा है।

जैव विविधता में सुधार
मिशन के ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप गंगा बेसिन में सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के उपचार की क्षमता में काफी वृद्धि हुई है। गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता और जैव विविधता में सुधार हुआ, जिससे डॉल्फ़िन, कछुओं, ऊदबिलाव, घड़ियाल और हिल्सा जैसी मछलियों की आबादी में बढ़ोतरी हुई और बेसिन के 30 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वनरोपण किया गया है। गंगा नदी भारत की 40 प्रतिशत आबादी के अलावा वनस्पतियों और जीवों की 2500 प्रजातियों और 8.61 बिलियन वर्ग किमी बेसिन का घर है। मिशन के ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप गंगा बेसिन में सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के उपचार की क्षमता में काफी वृद्धि हुई है।

मिशन को पहले भी मिले पुरस्कार
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने पहले भी ग्लोबल वाटर इंटेलिजेंस 3 द्वारा ग्लोबल वाटर अवार्ड्स-2019 में ‘पब्लिक वाटर एजेंसी ऑफ द ईयर] पुरस्कार जीता है। वहीं नेशनल ज्योग्राफिक इंडिया के साथ सह-निर्मित गंगाः रिवर फ्राम द स्काइज द्वारा बनाई गई डोक्यूमेंट्री है, जिसे तीन श्रेणियों सर्वश्रेष्ठ वृत्त चित्र, सर्वश्रेष्ठ करंट अफेयर्स और सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक इतिहास या वन्यजीव कार्यक्रम के तहत एशियन अकादमी, क्रिएटिव अवार्ड-2022 में पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

यूएन ने मिशन को सराहा
यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने नमामि गंगे मिशन को भारत में लाखों लोगों की जीवन रेखा गंगा को फिर से जीवंत करने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास बताया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने कहा कि एफएओ, यूएनईपी के साथ मिलकर ईकोसिस्टम की बहाली के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के दशक के सह-नेतृत्व के रूप में 2022 विश्व बहाली फ्लैगशिप पहलों के रूप में 10 सबसे अधिक महत्वाकांक्षी, दूरदर्शी, आशाजनक, ईकोसिस्टम बहाली पहलों को पुरस्कृत करने से बहुत खुश है।

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