
LP Live, Muzaffarnagar: यज्ञ-योग के प्रवक्ता और आर्य समाज के स्तंभ आचार्य पंडित गुरुदत्त आर्य ने रविवार प्रातः 4:18 बजे अंतिम सांस ली। 94 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनका स्वामी कल्याणदेव महाराज से गेहरा जुड़ाव रहा और जीवन भर वैदिक ज्ञान, यज्ञ व संयमित जीवनशैली के प्रचार में लगे रहे।


1994 में मिला था राज्य शिक्षक सम्मान

गांव-गांव यज्ञ की अग्नि प्रज्वलित करना, वेदों की ध्वनि को घर-घर पहुँचाना, और युवाओं को पाखंड व कुरीतियों से दूर ले जाना उनका जीवन मिशन रहा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें 1994 में राज्य शिक्षक सम्मान से नवाज़ा गया, समाज ने ‘आर्य रत्न’ की उपाधि दी, फिर भी वे स्वयं को केवल “सेवक” मानते रहे। उनका अंतिम संदेश यही रहा कि वेद, यज्ञ और ओम् की ज्योति को कभी मंद न पड़ने दिया जाए। समाज उनके दिखाए मार्ग पर चले यही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आज दो बजे विश्वकर्मा चौक श्मशान घाट पर होगा अंतिम संस्कार: पंडित गुरुदत्त आर्य के पुत्र ओमदत्त आर्य ने बताया की पिताजी स्वस्थ समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती थे। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर दो बजे विश्वकर्मा चौक स्थित श्मशान घाट पर par होगा।











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